सेंसर आधारित स्वचालित सिंचाई प्रणाली की कृषि राज्य मंत्री ने की तारीफ


- मंत्री ने पूसा संस्थान परिसर का किया भ्रमण

दिल्ली देहात न्यूज टीम : 
पानी की कमी को देखते हुए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए नई तकनीकें विकसित की है। शनिवार को केंद्र सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने शनिवार को सचिव डेयर और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, डॉ. त्रिलोचन महापात्र के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का निरीक्षण किया।
सबसे पहले उन्होंने संरक्षित खेती प्रौद्योगिकी केंद्र का दौरा किया। उन्होंने यहां सेंसर आधारित स्वचालित सिंचाई प्रणाली देखी और खूब सराहना की। इसके अलावा उन्होंने कम लागत वाली पॉलीहाउस, नर्सरी की तकनीक और ड्रिप सिंचाई का अवलोकन किया। उन्होंने किसानों के लाभ के लिए गुणवत्ता वाले रोपण सामग्रियों के उत्पादन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित बारानी परिस्थिति के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली (संरक्षित खेती, फूल और मशरूम का संयोजन) और तालाब-आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली (मत्स्य पालन + डेयरी + बागवानी + फसलें + मुर्गी + बतख पालन का समायोजन) ने उनका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मॉडल किसानों की आय बढ़ाने के लिए उपयोगी होंगे। उन्होंने नानाजी देशमुख प्लांट फेनोमिक्स केंद्र का भी भ्रमण किया। यह केंद्र जलवायु समुत्थानशीलता के लिए उपयोगी जननद्रव्य वंशक्रमों और जीनों की पहचान करने के लिए स्थापित किया गया है।


भ्रमण के बाद उन्होंने संस्थान के निदेशक, संयुक्त निदेशकों, विभागाध्यक्षों और वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ बैठक भी की। उन्होंने आईसीएआर के साथ-साथ कृषि और सहकारिता विभाग से अनुमोदित उन प्रौद्योगिकियों की पहचान करने के लिए सुझाव दिया जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सके। राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने गुणवत्तापूर्ण बीज, कोल्ड स्टोरेज सुविधा, प्रसंस्करण और विपणन सुनिश्चित करने पर जोर दिया। विचार-विमर्श के दौरान, वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न सुझाव दिए गए, जिसमें उन्नत किस्मों के गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता, पोषण आधारित कृषि, लागत में कमी के लिए प्रौद्योगिकियों का उपयोग, कृषि अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पूसा डीकम्पोजर का उपयोग, उत्पादन एवं खपत के जुड़ाव, प्रत्यक्ष विपणन के माध्यम से बिचौलियों को समाप्त करना, किसान उत्पादक कंपनियों को बढ़ावा देना, मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना, आदि शामिल थे।
सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने एक सप्ताह के भीतर उपरोक्त सुझावों को कॉन्सेप्ट नोट के रूप में प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिए ताकि आगे की रणनीति बनाई जा सके। उन्होंने किसानों की लाभप्रदता बढ़ाने के लिए पूरे देश के लिए फसल योजना के विकास की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थान की प्रौद्योगिकियों के प्रभावी और तेजी से प्रसार के लिए रणनीति विकसित करने पर भी जोर दिया।


डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, भारतीय कृषि अनु. संस्थान ने अवगत कराया कि पूसा संस्थान की प्रौद्योगिकियां राष्ट्रीय स्तर पर उपयोगी हैं। संस्थान की उन्नत किस्में किसानों की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। पूसा संस्थान एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालय के साथ भागीदारी, पूसा संस्थान एवं स्वैच्छिक संगठन के साथ भागीदारी, पूसा संस्थान एवं पोस्ट ऑफिस लिंकेज जैसी प्रसार की अभिनव रणनीतियाँ संस्थान की प्रौद्योगिकियों के प्रसार और किसानों की क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि कृषि मंत्रालय के सभी इकाइयों को एकजुट होकर काम करना होगा ताकि किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्रभावी रूप से हासिल किया जा सके।


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