आयुर्वेद में है हर बिमारी का पूर्ण व सही ईलाज: सतेन्द्र जैन


- आयुर्वेद ही आने वाले समय की चिकित्सा पद्धति
- दिल्ली में बदलती जीवनशैली से बढ़ रही बिमारियां
- जैन ने संस्थान में चार नये केंद्रों का किया उद्घाटन

एस.के.यादव :

आयुर्वेद में हर बिमारी का पूर्ण व सही ईलाज संभव है। नजफगढ़ के खेड़ा डाबर स्थित चौ. ब्रह्मप्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान में कैंसर की बिमारी पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित प्रतिभागियों, विद्यार्थियों व चिकित्सकों को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन ने उक्त संबोधन में जानकारी दी। यहां जैन ने कहा कि आयुर्वेद ही आने वाले समय की चिकित्सा पद्धति है। इस अवसर पर उन्होंने संस्थान में हैप्पी थैरेपी, शिशु पालन व सुरक्षा केंद्र, लीच (जोंक) फार्मिंग केंद्र व मर्म चिकित्सा ईकाई के रूप में चार नये केंद्रों का उद्घाटन भी किया। संगोष्ठी में संस्थान की निदेशक डॉ. विदुला गुज्जरवार, उपनिदेशक डाॅ. एन.आर. सिंह, गर्वनिंग काउंसिल के सदस्य डाॅ. प्रदीप अग्रवाल व डाॅ. अनिल शर्मा, संस्थान के पूर्व उपनिदेशक व योजनाकार डॉ. नन्दकिशोर ने भी अपने विचार रखें। संगोष्ठी में पूरे देश से करीब 450 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री के जन्मदिवस के अवसर पर पुष्प अर्पित कर की गई। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री जैन ने कहा कि देश को आज एक पूर्ण व सही चिकित्सा पद्धति की जरूरत है।

- बदलती जीवन शैली से बढ़ रही हैं बिमारियां
आज बदलती जीवन शैली के जिस तरह से बिमारियां लोगों को जकड़ रही है उसे देखते हुए आयुर्वेद समय की मांग पर खरी उतरती है। हालांकि उन्होने माना की आयुर्वेद पद्धति में बिमारी का ईलाज थोड़ा देर से होता है लेकिन एक पक्का ईलाज है। उन्होंने विशेष रूप से चिकित्सकों व विद्यार्थियाें को संबोधित करते हुए कहा कि आज समाज व लोगों के प्रति आपकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा है। अब समय आ गया कि आने वाले समय के लिए आप अपने आप को तैयार करें। उन्होंने कहा कि आज आयुर्वेद समय की मांग व मरीजों की जरूरत बन गया है। जिसे देखते हुए सरकार भी लोगों को सही, पूर्ण व सस्ते ईलाज के लिए प्रतिबद्ध है।

-अब संस्थान में ही लीच उत्पादन संभव हो पायेगा

जैन ने हैप्पी थैरेपी केंद्र का उद्घाटन करते हुए प्रतिभागियों व चिकित्सकों के साथ स्वयं थैरेपी की व शिशु पालन व सुरक्षा केंद्र और मर्म चिकित्सा पद्धति के केंद्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि संस्थान में लीच फाॅर्मिंग के जरीये अब खुद संस्थान में ही लीच उत्पादन संभव हो पायेगा। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक डॉ. विदुला गुज्जरवार ने संस्थान में चल रहे उपचारों के बारे में पूरे देश से आये प्रतिभागियों को अवगत कराया। वहीं पूर्व उपनिदेशक डा. नन्दकिशोर ने कहा कि हैप्पी थैरेपी व मर्म चिकित्सा पद्धति विषुद्ध रूप से भारतीय पद्धति थी लेकिन इस पर सबसे ज्यादा काम चाईना ने किया जिसे देखते हुए आज हम फिर इसको विकसित कर रहे हैं। संगोष्ठी के समापन पर उपनिदेशक डाॅ. एन.आर. सिंह ने सभी का आभार प्रकट किया।


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