दिल्ली में वायु प्रदूषण 25 फीसदी कम हुआ है : केजरीवाल





- केन्द्र सरकार, निगमों, कंपनियों व नागरिकों का किया केजरीवाल ने शुक्रिया

- मुख्यमंत्री ने पराली के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए जनता से सुझाव मांगे
- मुख्यमंत्री ने दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए सभी एजेंसियों और नागरिकों का धन्यवाद किया

दिल्ली देहात न्यूज टीम
नई दिल्ली: “दिल्ली में वायु प्रदूषण 25 फीसदी कम हुआ है। दिल्ली के लोगों को मैं खुशखबरी देना चाहता हूं कि कई सालों की मेहनत के बाद दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के बजाय कम होना शुरू हो गया है। पिछले तीन साल में दिल्ली में प्रदूषण में काफी कमी आई है।
हम सब दिल्ली के लोग प्रदूषण की बढ़ती समस्या को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं। दुनिया के टॉप 10 प्रदूषित शहरों में टॉप के दो शहर गुरुग्राम और गाजियाबाद हैं। दिल्ली 11 वें नंबर पर है।“ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ये बातें कहीं।
केजरीवाल ने कहा कि इन दिनों में हम क्या-क्या कदम उठा सकते हैं। इसके लिए हम एक ई-मेल cm4cleanair@gmail.com जारी कर रहे हैं। दिल्ली के लोग 12 सितंबर तक अपने सुझाव भेज सकते हैं। हम हर जरूरी कदम उठाएंगे जिससे दिल्ली के लोगों को प्रदूषण के कुप्रभावों से बचाया जा सके।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली पलूशन कंट्रोल बोर्ड और सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि पिछले 3 सालों में दिल्ली के प्रदूषण स्तर में काफी कमी आई है। सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड ने 38 पलूशन मॉनिटरिंग स्टेशंस के आंकड़ों के आधार पर संसद में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2014 के बीच पीएम 2.5 (यह ज्यादा महीन पार्टिकल होता है। यह ज्यादा नुकसानदायक होता है।) का स्तर 154 था, जो कि 2016 से 2018 के बीच में घटकर 115 रह गया है। यानी पीएम 2.5 में 25% की कमी आई है। दिल्ली का लगभग 25% प्रदूषण कम हो गया है। इसी प्रकार से 2011 से 2014 के बीच प्रतिवर्ष लगभग 40 दिन प्रदूषण के लिहाज से सबसे खतरनाक स्थिति वाले दिन हुआ करते थे जो पिछले तीन साल में घटकर मात्र 15 दिन रह गए हैं।
केजरीवाल ने कहा कि पूरी दुनिया में और हमारे देश के सभी राज्यों में जहां प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं दिल्ली में अब प्रदूषण धीरे-धीरे घटता जा रहा है। जिस गति से दिल्ली में जनसंख्या, आधुनिक सेवाओं तथा वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, अगर हमने जरूरी कदम नहीं उठाए होते, तो देश के बाकी हिस्सों की तरह दिल्ली में भी प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ता। लेकिन दिल्ली में न केवल प्रदूषण पर रोक लगी है बल्कि प्रदूषण की मात्रा में 25% तक कमी आई है। इतना ही नहीं, 2012 से 2014 के बीच अर्थात तीन साल में कुल 12 दिन प्रदूषण के लिहाज़ से गुड कैटेगरी या वेरी गुड कैटिगरी में थे, जबकि 2016 से 2018 के बीच में इनकी संख्या बढ़कर 205 दिन हो गई। इस प्रकार से दिल्ली में प्रदूषण में बहुत सुधार हुआ है। परंतु यह पर्याप्त नहीं है। हमें और भी बहुत सुधार करना है।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि अच्छी बात ये है कि इससे पता चलता है कि जो कदम उठाये जा रहे हैं, वो सही दिशा में है, वे कदम नतीजे ला रहे हैं, प्रदूषण कम होने लगा है। यह मात्र दिल्ली सरकार के प्रयासों से संभव नहीं हुआ इसमें बहुत सारी एजेंसीज का योगदान है, मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। केंद्र सरकार का शुक्रिया। नगर निगमों का शुक्रिया। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत सारे ऑर्डर जारी किये, जिनका हमने पालन किया, सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया। एन्वायरनमेंट पलूशन कंट्रोल अथॉरिटी (एप्का) का शुक्रिया। आरडब्ल्यू, मीडिया, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट का शुक्रिया। प्रदूषण कम करने की दिशा में दिल्ली के लोगों का बहुत बड़ा योगदान है। इसके लिए सभी दिल्लीवालों को शुक्रिया।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण में कमी कैसे आई, इसको लेकर हमने एक एनालिसिस करवाई है, जिससे पता चला है कि कौन-कौन से कदम कारगर साबित हुए। सबसे ज्यादा असर इस बात का हुआ है कि दिल्ली में अब 24 घंटे बिजली रहने लगी है। 2014 में दिल्ली में 11.7 करोड़ यूनिट बिजली के पावरकट लगे थे, जबकि पिछले साल मात्र 1.7 करोड़ यूनिट बिजली के पावर कट लगे। यानी दिल्ली में 80 फीसदी से 90 फीसदी तक बिजली के पावर कट में कमी आई है। लोगों ने जेनरेटर का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। एक आंकलन के मुताबिक दिल्ली में पहले लगभग पांच लाख से भी अधिक जनरेटर इस्तेमाल होते थे। पहले बाजारों में हर दुकान पर जेनरेटर होता था। इनसे बहुत ज्यादा प्रदूषण होता था। जेनरेटर का इस्तेमाल लगभग बंद हो गया है, इसका सबसे ज्यादा असर प्रदूषण नियंत्रण पर हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के आसपास के चार शहरों- गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और नोएडा- में कुल मिलाकर लगभग साढ़े पच्चीस लाख केवीए के डीज़ल जेनरेटर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इन शहरों में काफी बिजली कटौती होती है। अगर केवल 2 घंटे के लिए अगर बिजली चली जाए तो यह सभी जेनरेटर मिलकर 1000 किलो प्रदूषण पैदा करते हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक रिपोर्ट है जो यह कहती है कि अगर किसी इलाके में डीजल जेनरेटर चलते हैं तो उसकी वजह से वहां 30% से लेकर 50% तक प्रदूषण बढ़ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल वे बनने से भी दिल्ली में प्रदूषण में काफी कमी आई है। पहले दिल्ली में हजारों की संख्या में ट्रक रात में गुजरते थे, जिसके कारण बहुत बड़ी मात्रा में दिल्ली में प्रदूषण होता था। जब से यह ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल वे बने हैं और इसके साथ-साथ एनवायरनमेंटल कंपनसेशन चार्जेस लगा दिये गये, जो काफी ज्यादा है, तो इसकी वजह से ज्यादातर ट्रक दिल्ली के बाहर से निकलने शुरू हो गये हैं। इसका बहुत बड़ा असर हुआ। ईस्टर्न पेरिफेरल वे की एक स्टडी से पता चलता है कि इसकी वजह से 30 फीसदी ट्रक दिल्ली में आने कम हो गये। सेंटर फॉर रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्टडी बताती है कि ईस्टर्न पेरिफेरल वे की वजह से दिल्ली में 7 फीसदी प्रदूषण में कमी आई है।
अरविंद केजरीवाल ने ये भी कहा कि हमारे मंत्री इमरान हुसैन और कई अफसरों ने कई बड़ी-बड़ी कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काफी छापेमारी की है। अब ये साइट्स कवर्ड रहती हैं। अब खुली साइट्स नहीं मिलती। इसमें काफी पेनाल्टी लगाई गई हैं। पिछले एक-डेढ़ साल में 8 करोड़ रुपये की पेनाल्टीज लगाई गई हैं। काफी चालान किये गये हैं। इसके अलावा दिल्ली में बहुत बड़े स्तर पर लाखों पेड़ लगाये गये हैं। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक दिल्ली के अंदर 2015 में फॉरेस्ट कवर 20.2 फीसदी था जो 2017 में बढ़कर 20.6 फीसदी हो गया। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए दो पावर स्टेशन- राजघाट और बदरपुर- को बंद कर दिये हैं। दोनों कोयले से चलते थे। दोनों से बहुत प्रदूषण होता था। दिल्ली में जो इंडस्ट्रीज पेट कोक, फर्निश ऑयल, टायर ऑयल और कोयला इस्तेमाल करती थी, उनसे बहुत प्रदूषण होता था, दिल्ली सरकार ने जून, 2018 में इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अब केवल एलएनजी और पीएनजी इस्तेमाल करने की इजाजत है। दिल्ली की लगभग सभी इंडस्ट्रीज एलएनजी और पीएनजी पर शिफ्ट कर चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एप्का ने जो ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान बनाया, प्रदूषण रोकने में उसका भी बड़ा योगदान है। सुप्रीम कोर्ट और एप्का ने हमें दिशा दिखाई। दिल्ली सरकार ने नीयत दिखाई। मुझे कहते हुए खुशी है कि पूरे देश में केवल और केवल दिल्ली अकेला शहर है जहां ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान लागू है।
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि दिल्ली में 40 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन चल रहे हैं। ये पूरे देश में सबसे बड़ा नेटवर्क है। एशिया में दिल्ली तीसरा सबसे बड़ा शहर है जहां एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशंस का इतना बड़ा नेटवर्क है। इसके अलावा आने वाले समय में 4000 बसें आ रही हैं, इससे दुपहिया वाहन कम होंगे, कई लोग अपनी गाड़ियां छोड़कर सार्वजनिक परिवहन पर आएंगे, इससे भी प्रदूषण कम होगा। हम इलेक्ट्रिक वीकल पॉलिसी की बहुत जल्द घोषणा करने वाले हैं, इससे प्रदूषण नियंत्रण में काफी मदद मिलेगी। दिल्ली की सड़कों के दोनों तरफ की मिट्टी न उड़े, उसके लिए हम दोनों तरफ ग्रीनरी करा रहे हैं उसका बहुत सकारात्मक असर पड़ेगा। मई, 2019 से इसका काम शुरू हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने वायु प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को लिखे अपने पत्र में उल्लेख किया है कि बढ़ते प्रदूषण को किस तरह रोका जा सकता है, ये उन शहरों को जो प्रदूषण रोकने के लिए कदम नहीं उठा रहे हैं, उनको दिल्ली से सीखना चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि आने वाले समय में एक बड़ी चुनौती आने वाली है। लगभग 25 अक्टूबर से 20 नवंबर के बीच आसपास के राज्यों में पराली जलने से दिल्ली में बहुत धुआं आता है। दिल्ली गैस चैंबर बन जाता है। हम लोग कुछ नहीं कर पाते। मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री से मिला था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से भी मिला। वो लोग कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हम लोग हाथ पर हाथ रखकर बैठ नहीं सकते। प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने पर हम ग्रेडेड एक्शन प्लान लागू करेंगे लेकिन हम दिल्ली के लोगों से जानना चाहते हैं कि अपने परिवार को प्रदूषण के कुप्रभावों से बचाने के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं।


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