दीपावली पर एक दीया शहीदों के नाम : हरपाल सिंह राणा



दीपावली पर एक दीया शहीदों के नाम : हरपाल सिंह राणा 

- शहीद कुशाल सिंह स्मारक, बीसवा मील पर एक दीया प्रज्वलित करके श्रद्धांजलि दी गई

Mcd Live News नई दिल्ली  

देश को स्वतंत्र करवाने में लगभग 7 लाख शहीदों ने कुर्बानी दी थी और न जाने कितने क्रांतिकारियों ने इसमें त्याग और बलिदान देने के पश्चात हमें मिली थी स्वतंत्रता। इसलिए देश के नागरिकों का कर्तव्य बनता है कि वह महत्वपूर्ण अवसरों, त्योहारों पर एक दीया शहीदों के नाम प्रज्वलित करके उन्हें श्रद्धांजलि अवश्य दें। इस दीपावली पर शहीद कुशाल सिंह स्मारक, बीसवा मील पर एक दीया प्रज्वलित करके श्रद्धांजलि दी गई। शहीद सम्मान अभियान के अध्यक्ष डॉ हरपाल सिंह जटराणा ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि महान क्रांतिकारी शहीद गुरु तेग बहादुर के द्वार मुगल शासको का विरोध करने के कारण 1675 में औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम स्वीकार न करने के कारण चांदनी चौक वर्तमान शीशगंज गुरुद्वारे पर उनका शीश कटवा दिया था। हिंदुत्व की रक्षा करने के लिए गुरु तेग बहादुर की शहादत को सभी नमन करते हैं और उनकी शहादत से जुड़ा बहुत बड़ा इतिहास सोनीपत से जुड़ा हुआ है। जिन्होंने गुरु तेग बहादुर के शीश को सुरक्षित करने के लिए  शहीद कुशाल सिंह दहिया ने अपना शीश कटा दिया था। 


कहा जाता है जब औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर का कत्ल करने के बाद भी उनके पार्थिव शरीर के कई टुकड़े करवा कर अलग-अलग स्थान पर ले जाने के लिए कहा था, लेकिन ईश्वर को यह मंजूर नहीं था। उस वक्त तेज आंधी और बारिश आने के कारण से उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। एक शिष्य उनके धड़ को अपने घर पर रखकर घर को आग लगा दी और दूसरे शिष्य उनके शीश को लेकर आनंदपुर साहिब की तरफ चल दिए, औरंगजेब ने अपनी सेना को आदेश देकर उन्हें गिरफ्तार करने को कहा, लेकिन तब तक क्रांतिकारी जैता सिंह सोनीपत के नजदीक एक गांव में पहुंच चुके थे और गांव वालों ने जेता सिंह का साथ देने का वचन दिया था, लेकिन वहां पर एक अनोखी घटना घटी जिसने क्रांतिकारी इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। गांव के रहने वाले कुशाल सिंह ने कहा कि मैं गुरु तेग बहादुर के पवित्र शीश की रक्षा करने के लिए अपना शीश देने के लिए तैयार हूं और उन्होंने ऐसा किया भी जिससे औरंगजेब की सेना को कुशाल सिंह का शीश दे दिया गया और गुरु तेग बहादुर का शीश आनंदपुर साहिब पहुंच गया और उस सोनीपत के गांव का नाम बड़खालसा हो गया।


 शहीद सम्मान अभियान के अध्यक्ष डॉ हरपाल सिंह जटराणा पिछले कई वर्षों से स्मारक पर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते रहे हैं। उन्होंने पिछली दिवाली पर भी इसी स्मारक पर एक दीया शहीदों के नाम प्रचलित किया था और इस दीपावली पर भी अपनी धर्म पत्नी सीमा राणा, पुत्र वधू पूजा, संगीता, श्वेता त्यागी सहित , जगदीश, प्रेमपाल, शहीद कुशाल सिंह संस्था, जोगिंदर दहिया, अध्यक्ष फेडरेशन का नरेला, रणधीर खापरा,अतरराष्ट्रीय कोच, रामचंद्र खत्री, प्रवीण त्यागी, अखिल राणा सहित बढ़खालसा गाँव के विद्यार्थियों और व्यक्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

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