अस्तित्व के संकट से जूझ रही है भारतीय पत्रकारिता : दयानंद वत्स

अस्तित्व के संकट से जूझ रही है भारतीय पत्रकारिता : दयानंद वत्स 

- राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर प्रेस की स्वतंत्रता और भारतीय पत्रकारिता की दशा और दिशा पर चिंता जताई
- पत्रकारों को भी सरकार राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित करे केंद्र सरकार: शिक्षाविद् दयानंद वत्स भारतीय

Mcd Live News नई दिल्ली 

नेशनल मीडिया नेटवर्क एवं अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ, नई दिल्ली के राष्ट्रीय महामंत्री शिक्षाविद् डॉ.दयानंद वत्स भारतीय ने आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर प्रेस की स्वतंत्रता और भारतीय पत्रकारिता की दशा ओर दिशा पर अपनी चिंता जताई है। वत्स ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय पत्रकारिता संक्रमण काल के दौर से गुजर रही है और पत्रकारों के सामने अस्तित्व बचाने का संकट मुंह बाये खडा है। आधुनिकतम डिजिटल तकनीक और विज्ञापन के बाजारवाद ने आजादी के समय से पत्र, पत्रकार, संपादक जैसे सम्मानित पदों को विघटित कर उन्हें मार्केटिंग के चक्रव्यूह में फंसा दिया है।

 प्रेस की स्वतंत्रता को तो कोई खतरा नहीं है पर पत्रकारों की दशा सचमुच बहुत अच्छी तो कतई नहीं है, और जब दशा ही बेहतर ना हो तो दिशा सही कैसे हो सकती है ? दयानंद वत्स ने प्रेस दिवस पर केंद्र और सभी राज्य सरकारों से पुरजोर मांग की है कि सरकार पत्रकारिता के पुरोधाओं के जीवन स्तर को उपर उठाने, उनके रोजगार के स्थायित्व और जीवनयापन हेतु आकर्षक वेतनमान, समुचित सुरक्षा, सम्मान की एक पारदर्शी व्यवस्था को अविलंब लागू करे। 


सभी पत्रकारों का जीवन बीमा, सरकारी आवास की व्यवस्था, मकानों के निर्माण में रियायती दरों पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ प्रेस स्वाभिमान और आत्मसम्मान से अपने दायित्वों का निर्वहन कर सके। वत्स ने मांग की है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय पत्रकारों के कल्याणार्थ बनाए गये राष्ट्रीय कोष से ड्यूटी पर हुई पत्रकार की मृत्यु होने पर बिना किसी बाधा के पीडित परिवार को एक करोड रुपये की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान करे। अभी यह राशि मात्र पांच लाख है जो नाकाफी है। सरकार को चाहिए कि वह प्रतिवर्ष पत्रकारों को राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित करने की दिशा में काम करें।


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