दीपदान, त्याग, बलिदान, कर्तव्य और इतिहास को दिखाने वाला नाटक है : अरविंद गौड़

दीपदान, त्याग, बलिदान, कर्तव्य और इतिहास को दिखाने वाला नाटक है : अरविंद गौड़ 

- अभिरंग ' नाट्य संस्था के बीस वर्ष पर 'दीपदान' का मंचन
- हरिंद्र कुमार ने अभिरंग की स्थापना और विकास यात्रा पर डाला प्रकाश

Mcd Live News नई दिल्ली 

हिंदू महाविद्यालय के सांगानेरिया सभागार में, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर अंजू श्रीवास्तव के सहयोग से, हिंदी नाट्य संस्था 'अभिरंग’ द्वारा डॉ रामकुमार वर्मा के एकांकी 'दीपदान’ का मंचन हुआ। यह नाट्य संस्था 2004 में आरंभ हुई थी। इस लिहाज से यह इस संस्था का दूसरा दशक है। 
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध रंगकर्मी व निर्देशक अरविंद गौड़ ने दीपदान के मंचन की सराहना की। उन्होंने संस्था के आरंभिक स्वरूप से जुड़े होने की भी बात कही और आज दूसरे दशक में उनका आना एक सतत् जुड़ाव का द्योतक है।   

  अरविन्द गौड़ ने कहा - "अभिरंग पूरी यात्रा है....एक अंकुर था जो अब वृक्ष बन चुका है...यह मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है जो बच्चा 20 साल पहले चलता हुआ लुढ़कता हुआ देखा आज अपने पैरों पर खड़ा है और मजबूती के साथ इतना शानदार नाटक आप सभी के सामने प्रस्तुत किया।"  उन्होंने यह भी कहा कि सामान्यतः लोग जो कॉलेजों के नाटकों को अपरिपक्व कहने की कोशिश करते हैं, आज उनके भ्रम को तोड़कर अभिरंग ने एक मुख्य धारा के रंगमंच का उदाहरण रखा। दीपदान, त्याग, बलिदान, कर्तव्य और इतिहास को दिखाने वाला नाटक है।


  उन्होंने संस्था के सदस्यों द्वारा की गई प्रस्तुति को भावना और संवेदना से जोड़ा। भारतीय इतिहास के उज्जवल पक्षों में एक पक्ष वीरांगना पन्ना धाय का भी था जिसने राष्ट्र हित में अपने मातृत्व का बलिदान दिया था। विद्यार्थियों का अभिनय इस ओजस्विता और शौर्य को प्रेषित करने में सफल रहा, जिसे अंत में दर्शकों की तालियों की अनुगंज में महसूस किया जा सकता था।  इसके साथ अभिरंग के बोर्ड का उद्घाटन भी अरविंद गौड़ ने किया जिसमें संस्था की गतिविधियों से वे काफी प्रभावित दिखें।

 हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक हरिंद्र कुमार ने अभिरंग की स्थापना और विकास यात्रा पर प्रकाश डाला और अभिरंग  के कलाकारों  में  बड़ी संभावना खोजने के बात कही। अंत में कार्यक्रम का समापन वक्तव्य अभिरंग की परामर्शदाता डॉ साक्षी ने सभी को धन्यवाद देकर किया। कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों में प्रोफेसर रामेश्वर राय, प्रोफेसर विजय गर्ग, डॉ जगमोहन, डॉ अरविंद कुमार संबल, डॉ कस्तूरी दत्ता, डॉ प्रज्ञा त्रिवेदी, डॉ पवन कुमार मौजूद रहें।

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