आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं मिला दो माह का वेतन : सांसद रामवीर बिधूड़ी

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं मिला दो माह का वेतन : सांसद रामवीर बिधूड़ी

- महिला होते हुए भी महिलाओं से यह ज्यादती क्यों कर रहीं हैं आतिशी

Mcd Live News नई दिल्ली

दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को पिछले दो महीने से वेतन का भुगतान न होने पर दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आतिशी सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि एक तो इन महिला कर्मियों को नाममात्र वेतन ही दिया जाता है लेकिन इस बार दो महीने लगातार वेतन न मिलने पर इनकी दिवाली भी काली हो गई। एक महिला मुख्यमंत्री के होते हुए भी समाज की सेवा में जुटी इन महिलाओं को ही वेतन न मिले, यह शर्म की बात है। बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में 10 हजार से अधिक केंद्रों पर लगभग 21 हजार आंगनवाड़ी कर्मी कार्य करती हैं जो दिन-रात एक करके बच्चों की सेवा में जुटी रहती हैं लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार इन्हें पर्याप्त वेतन तो देती ही नहीं, अब दो महीने से उनके वेतन का भुगतान रोक दिया गया है। बिधूड़ी ने कहा है कि मुख्यमंत्री बताएं कि आखिर इन महिलाओं को उनका नाममात्र वेतन भी क्यों नहीं दिया गया। सांसद बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह सिर्फ 12,720 रुपए का मानदेय ही दिया जाता है। दिल्ली सरकार राजधानी में न्यूनतम वेतन लागू करने पर जोर देती है और जो नियोक्ता न्यूनतम वेतन नहीं देता, सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई भी करती है लेकिन सरकार स्वयं ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को न्यूनतम वेतन तक नहीं दे रही। 


उन्होंने कहा कि दिल्ली में आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह सिर्फ 12,720 रुपए का मानदेय ही दिया जाता है। दिल्ली सरकार राजधानी में न्यूनतम वेतन लागू करने पर जोर देती है और जो नियोक्ता न्यूनतम वेतन नहीं देता, सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई भी करती है लेकिन सरकार स्वयं ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को न्यूनतम वेतन तक नहीं दे रही। दिल्ली में अकुशल कर्मी के लिए न्यूनतम वेतन 18066 रुपए, अर्धकुशल के लिए 19,919 रुपए और कुशल कर्मी के लिए 21,917 रुपए प्रति माह है। ये सभी कार्यकर्ता अपने कार्य में पूरी तरह कुशल हैं। इसलिए इन्हें कुशल कर्मी के रूप में 21,917 रुपए मासिक का वेतन दिया जाना चाहिए।
बिधूड़ी ने कहा कि इनमें से अधिकतर महिलाएं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से आती हैं। उनके लिए इस नाममात्र वेतन का बहुत अधिक महत्व होता है लेकिन पिछले दो महीने से उन्हें यह वेतन नहीं दिया जाने से उनका घर चलना मुश्किल हो गया है। इनकी कमजोर आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार के शोषण के बावजूद वे आन्दोलन नहीं कर पातीं क्योंकि सरकार उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी देती है।



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