- नवीनतम मशीनों से फसल अवशेषों का प्रबंधन
नई दिल्ली MCD LIVE NEWS
दिल्ली के उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने नजफगढ़ क्षेत्र के शिकारपुर गांव में भारत सरकार की परियोजना फसल अवशेष का यथा-स्थान प्रबंधन के अंतर्गत ’नवीनत्तम मशीनों से फसल अवशेषों के प्रबंधन’ के संबंध में प्रक्षेत्र दिवस का मंगलवार को आयोजन किया। इस कार्यक्रम के अवसर पर केंद्र के अध्यक्ष डॉ डी. के. राणा ने उपस्थित किसानों का स्वागत करते हुए बताया कि दिल्ली के क्षेत्र को प्रदूषण से मुक्त एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पराली का यथा-स्थान प्रबंधन अतः आवश्यक हैं। क्योंकि उत्तरी भारत में फसल अवशेषों को जलाने की मुख्य समस्या बन गई है जिससे दिल्ली एवं आसपास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रतिवर्ष नवंबर एवं दिसंबर माह में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है। जिसके निदान के लिए भारत सरकार ने महत्वपूर्ण परियोजना फसल अवशेषों का यथा-स्थान प्रबंधन के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्रों ने अतुलनीय प्रयासों से अनेकों किसानों ने पराली प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर मिशाल पेश की। इसे लेकर कृषि प्रसार विशेषज्ञ कैलाश, डॉ जय प्रकाश, विशेषज्ञ (पशुपालन) ने भी किसानों को जानकारी से अवगत कराया। इसे लेकर कृषि प्रसार विशेषज्ञ कैलाश ने बताया कि भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से किसानों ने काफी मात्रा में पराली प्रबंधन करने वाले यंत्रों का इस्तेमाल किया, जिससे पराली का यथास्थान पर प्रबंधन करने में काफी फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा विभिन्न सूचना एवं संचार गतिविधियों जैसे जागरुकता कार्यक्रम, किसान मेला, किसानों के प्रक्षेत्र पर प्रदर्शन एवं विद्यार्थियों के द्वारा भी जन जन तक पराली के जलाने से होने वाले नुकसान के संदेश दे रहे है।
इसी संदर्भ में कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के कैलाश ने दक्षिण पश्चिम दिल्ली के विभिन्न गांव जैसे शिकारपुर, झटीकेरा, धुमनहेड़ा, ढांसा, झुलझुली, दौराला एवं उत्तरी दिल्ली के घोगा एवं दरियापुर कलां जैसे विभिन्न गांवों में पराली के यथा स्थान प्रबंधन करते हुए नवीनत्तम मशीनें जैसे सुपर सीडर, जीरो टिलेज एवं रोटावेटर से अवशेषों का प्रबंधन करते हुए गेहूं की सीधी बुवाई की। जिससें किसानों के जुताई के लागत में कमी होते हुए समय पर फसल की भी सीधी बुवाई हुई। जिससे पराली का यथा स्थान प्रबंधन होने से खेतों में जीवांश की मात्रा में भी सुधार होगा। कार्यक्रम के क्रम में डॉ राकेश कुमार, बागवानी विशेषज्ञ ने किसानों को वैज्ञानिक सब्जियों की खेती एवं गृह वाटिका को अपनाने की जानकारी साझा की। डॉ समर पाल सिंह, सस्य विज्ञान विशेषज्ञ ने किसानों को धान एवं गेहूं के बीच के अंतराल में दलहनी फसल मूंग को अपनाने हेतु अवगत करवाया ताकि किसानों को अतिरिक्त आय के साथ मिट्टी में पोषक तत्वों की भी वृद्धि हो सके।
कार्यक्रम के इसी क्रम में डॉ जय प्रकाश, विशेषज्ञ (पशुपालन) ने किसानों को पशुओं के टीकाकरण, आहार प्रबंधन एवं मुख्यतः रिपिट ब्रीडिंग (बांझपन) की समस्या एवं निदान के बारे में जागरुक किया। इसी क्रम में उन्होंनें फसलों से आने नए तुड़े (गेंहु के भूसा) के बारे भी किसानों को प्रबंधन एवं पशुओं की खिलाने की प्रक्रिया के बारे में अवगत करवाया। कार्यक्रम के क्रम में प्रगतिशील किसानों ने नवीनत्तम मशीनों से प्रदर्शित फसल के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह हमारे समय एवं पैसों की बचत करते हुए सीधी बुवाई का उपयुक्त साधन है, जिसकों हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में काफी किसानों ने अपनाया हैं, जिससें हमें अच्छी उपज का अनुमान है। इस कार्यक्रम में 60 से अधिक प्रगतिशील किसानों ने भागीदारी की।
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