पूसा संस्थान के वैज्ञानिक कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कर रहे हैं कठिन परिश्रम : शिवराज सिंह चौहान
- दीक्षांत समारोह में देश और विदेश के 399 छात्रों ने डिग्रियां प्राप्त
- किसानों तक पहुंच रही हैं पूसा संस्थान की विकसित प्रौद्योगिकियां
नई दिल्ली MCD LIVE NEWS
भारत को कृषि के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कृषि महाशक्ति बनाने में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के कृषि वैज्ञानिकों की सराहनीय भूमिका रही है और संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियां किसानों तक पहुंच रही हैं। बतौर मुख्य अतिथि भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूसा कृषि संस्थान के 63वें दीक्षांत समारोह के दौरान यह संबोधन दिया। इस अवसर पर उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए उद्यमिता विकास और स्टार्ट-अप्स पर जोर दिया। उन्होंने कृषि उपकरणों में नवाचार को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि पूसा संस्थान के वैज्ञानिक कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती और रासायनिक उर्वरकों के न्यूनतम उपयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
अपने संबोधन में, स्नातकोत्तर और डॉक्टोरल डिग्रियां प्राप्त करने वालेसभी छात्रों, शोध तथा अकादमिक में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रतिष्ठित संकाय को, शिवराज सिंह चौहान ने हार्दिक शुभकामनाएं दी। इस दीक्षांत समारोह में कुल 399 छात्रों ने, जिनमें भारत और अन्य देशों के छात्र शामिल हैं, स्नातकोत्तर और डॉक्टोरल डिग्रियां प्राप्त की।
बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर के भारत रत्न सी. सुब्रह्मण्यम सभागार में अपना 63वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया। इस अवसर पर भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य अतिथि के रूप में गरिमामययी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और रामनाथ ठाकुर ने सम्मानित अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर देवेन्द्र चतुर्वेदी, सचिव डेयर और महानिदेशक पूसा संस्थान, डॉ. सी एच. श्रीनिवास राव, निदेशक, डॉ. अनुपमा सिंह, अधिष्ठाता एवं संयुक्त निदेशक (शिक्षा), डॉ. विश्वनाथन चिन्नुसामी, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) तथा डॉ. रवीन्द्रनाथ पडारिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार) पूसा संस्थान भी उपस्थित रहे।
- देश और विदेश के 399 छात्रों ने डिग्रियां प्राप्त
इस दीक्षांत समारोह में कुल 399 छात्रों ने, जिनमें भारत और अन्य देशों के छात्र शामिल हैं, स्नातकोत्तर और डॉक्टोरल डिग्रियां प्राप्त की। दीक्षांत समारोह के दौरान, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री, भागीरथ चौधरी और रामनाथ ठाकुर ने 5 एम.एस.सी.छात्रों और 5 डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को पूसा संस्थान के मेरिट पदक प्रदान किए। इसके अलावा, उन्होंने रुद्र गौदा, डॉक्टोरल छात्र, कीट विज्ञान संभाग को सर्वश्रेष्ठ छात्र पुरस्कार (नाबार्ड)-2024 तथा सर्वश्रेष्ठ एम.एस.सी. छात्र पुरस्कार, एम.एस.सी. छात्रा, स्नेहा भारद्वाज, सस्य विज्ञान संभाग को प्रदान किया गया। इसके साथ ही, डॉ. एच.के. जैन मेमोरियल युवा वैज्ञानिक पुरस्कार 2024 डॉ. विकेश मुथुसामी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, आनुवंशिकी संभाग को, 28वां हूकर पुरस्कार 2022-23 द्विवार्षिक वर्ष के लिए डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संभाग को और चौथा नाबार्ड अनुसंधानकर्ता पुरस्कार 2024, डॉ. गिरीजेश सिंह महरा, वैज्ञानिक, कृषि प्रसार संभाग को प्रदान किए गए।
- केंद्रीय कृषि मंत्री ने अनाज आदि की जारी की किस्में
यहां कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गेहूं, मक्का, चना, मूंगफली, आम आदि के विभिन्न किस्मों को जारी किया। साथ ही उन्होंने पूसा संस्थान के स्नातक विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट-2024, स्नातक विद्यालय शिक्षा पत्रिका, “कृषि अभियांत्रिकी में प्रगति खंड-एक (6वीं अधिष्ठाता समिति की सिफारिशों के अनुसार)“ और “रैपिड सीड वायबिलिटी टेस्टिंग किट“ नामक तीन प्रकाशित सामग्री का विमोचन किया।
- किस्में कुल विदेशी मुद्रा का 90 प्रतिशत योगदान करती है : निदेशक
पूसा संस्थान के निदेशक डॉ. सी एच. श्रीनिवास राव ने पूसा संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की किस्मों के बारे में बताया जो लगभग 15 मिलियन हेक्टेयर में उगाई जाती हैं और देश के गेहूं भंडार में लगभग 60 मिलियन टन का योगदान करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पूसा बासमती धान की किस्में कुल विदेशी मुद्रा का 90 प्रतिशत योगदान करती हैं। वहीं, डॉ. अनुपमा सिंह, डीन एवं संयुक्त निदेशक (शिक्षा) ने बताया कि 2024-25 के शैक्षणिक वर्ष में 1027 छात्रों को प्रवेश मिला, जिनमें 377 स्नातक, 313 स्नातकोत्तर और 337 डॉक्टोरल कार्यक्रम के छात्र शामिल हैं।
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