नरेला जोन में कम से कम कीटनाशक दवाईयों का किया जाए छिड़काव : पवन यादव


नरेला जोन में कम से कम कीटनाशक दवाईयों का किया जाए छिड़काव : पवन यादव

- डीबीसी एमटीएस कर्मियों के लिए निगम ने आयोजित किया प्रशिक्षण कार्यक्रम

 नई दिल्ली MCD LIVE NEWS

दिल्ली नगर निगम के नरेला जोन के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्र में कम से कम कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाए। नरेला जोन के उपायुक्त (डीसी) पवन यादव ने मंगलवार को नरेला के पंजाबी कॉलोनी स्थित समुदाय भवन में आयोजित नरेला जोन के विभिन्न एमटीएस (पीएच) जैसे डीबीसी कर्मचारी और फील्ड वर्कर कर्मियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान यह निर्देश दिए। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न एमटीएस (पीएच) को घरों में मच्छरों की उत्पत्ति होने वाली जगहों के बारे में जानकारी दी गई एवं उत्पत्ति को रोकने के लिए छिड़की जाने वाली कीटनाशक दवाइयों के बारे में बताया गया।

 इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 300 एमटीएस (पीएच) कर्मियों ने भाग लिया। यहां उपायुक्त ने बताया कि इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम हर वर्ष नरेला जोन में किया जाता है ताकि सभी कर्मियों को मच्छरों की उत्पत्ति रोकने के लिए किए जा रहे नवीनतम पद्धति एवं दवाइयों के बारे में जानकारी दी जा सके। कार्यक्रम में जोन के उप-स्वास्थ्य अधिकारी अजय हांडा ने बताया कि इस वर्ष डेंगू के मामले दिल्ली में अन्य क्षेत्र से बहुत कम नरेला जोन में दर्ज हुए। हमारे विभाग के कर्मचारी प्रशंसा के पात्र है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र दिल्ली के बॉर्डर पर होने के बावजूद भी यहां मच्छरों की उत्पत्ति अच्छी तरह से नियंत्रित की जाती है एवं कुछ स्थानों पर हरियाणा सरकार में कार्यरत मलेरिया कर्मियों के साथ मिलकर भी कार्य किया जाता है। एएमओ सुधीर राणा ने बताया कि उनके पास सभी दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और सभी मलेरिया रोधी दवाइयां छिड़कने वाली की मशीनों के जाँच करवा ली गई हे ताकि मलेरिया के मौसम में वह सुचारू रूप से कार्य कर सके।

- ज्यादा से ज्यादा बायोलॉजिकल पद्धति का हो उपयोग
उपायुक्त पवन यादव ने मच्छरों के प्रजनन को खत्म करने के लिए ज्यादा से ज्यादा बायोलॉजिकल पद्धति का उपयोग करने की बात कही। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अभी भी लोग चौपाल में बताई गई बात एवं बड़े बुजर्गो के द्वारा बताई गई बातों का सम्मान करते हैं एवं उनकी बातें मानी जाती है। यदि मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम सम्बन्धी स्वास्थ्य शिक्षा चौपाल के द्वारा और गांव प्रधान के द्वारा ग्रामीणों को दी जाए, तो काफी हद तक ग्रामीण इसका पालन करेंगे। अन्य उपलब्ध संसाधनों के साथ साथ इस तरह की स्वास्थ्य शिक्षा पर इस क्षेत्र के मलेरिया कर्मचारी को जोर देना चाहिए। 

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