हर विधायक की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि विधायी कार्यों में अपना शत प्रतिशत दें : ओम बिरला
- लोक सभा अध्यक्ष ने दिल्ली के विधायकों से दिल्ली विधान सभा को आदर्श विधान सभा बनाने का आग्रह किया
- विधानसभा के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला
- दिल्ली में लोगों को नई सरकार से बहुत अधिक अपेक्षाएं हैं
- दिल्ली के जनप्रतिनिधि दिल्ली के लोगों के प्रति जवाबदेह होते हैं
- जनप्रतिनिधियों के कार्यों पर पूरे देश की नज़र रहती है
- जन प्रतिनिधियों को अच्छा श्रोता बनने का प्रयास करना चाहिए
- एक अच्छा विधायक बनने के लिए सदन में उपस्थित रहना चाहिए
- सदन में गतिरोध नहीं होना चाहिए; असहमति को गरिमापूर्ण ढंग से और सार्थक संवाद के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए
- समितियां लघु विधानमंडल के रूप में काम करती हैं; सदस्यों को समिति की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए
- संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक और रचनात्मक होनी चाहिए
- लोक सभा अध्यक्ष ने दिल्ली विधान सभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया
नई दिल्ली, 18 मार्च, 2025 :
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज दिल्ली विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों से इसे आदर्श विधान सभा बनाने का आग्रह किया, क्योंकि नई सरकार से लोगों को बहुत अधिक अपेक्षाएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के जनप्रतिनिधि दिल्ली की जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, लेकिन उनके कार्यों पर पूरे देश की नज़र रहती है। सदस्यों से लोगों की समस्याओं के नए समाधान खोजने और प्रतिस्पर्धी भावना से विचारों और अनुभवों को साझा करने का आग्रह करते हुए बिरला ने कहा कि विधायकों को विधान सभा में ऐसे नवाचार प्रस्तुत करने चाहिए, जिससे लोगों की समस्याओं का हल निकले और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान हो। उन्होंने कहा कि दिल्ली से निकलने वाले समाधान न केवल दिल्ली के काम आएंगे, बल्कि देश के अन्य राज्यों और विधायी निकायों के लिए भी एक उदाहरण बनेंगे। बिरला ने सुझाव दिया कि सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों तक सीमित रहकर सोचने के बजाय पूरी दिल्ली के विकास पर ध्यान देना चाहिए। दिल्ली को भारत का लघु रूप बताते हुए, बिरला ने कहा कि यहां सभी राज्यों से विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के लोग आते हैं, और उनकी अलग-अलग आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करना निर्वाचित प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है। बिरला आज दिल्ली विधानसभा परिसर में दिल्ली विधान सभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली विधान सभा और लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा किया जा रहा है।
इस अवसर पर दिल्ली विधान सभा के अध्यक्ष, विजेंद्र गुप्ता; दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता; दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष आतिशी; दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट भी उपस्थित थे और उन्होंने विशिष्ट सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री, दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद और विधानसभा के सदस्य भी मौजूद थे। इस अवसर पर दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष आतिशी ने भी सभा को संबोधित किया। दिल्ली विधान सभा में उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इससे पहले, लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने परिचयात्मक टिप्पणी की।
- मुख्यमंत्री ने दिल्ली की प्रगति, समृद्धि और विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली की प्रगति, समृद्धि और विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और हर पल का उपयोग लोगों की बेहतरी के लिए करने के महत्व पर जोर दिया। सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने अपने नेतृत्व में विश्वास के लिए आभार व्यक्त किया और निरंतर विकास सुनिश्चित करने के लिए सौहार्दपूर्ण राजनीतिक माहौल की आवश्यकता की बात भी की।
- सदन में बोलने से पहले अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक है : गुप्ता
गुप्ता ने याद दिलाया कि सदन में बोलने से पहले अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक है। विपक्ष में अपने अनुभव से उन्होंने कहा कि कम संख्या होने के बावजूद सरकार विपक्ष की बात सुनने के लिए बाध्य है। दिल्ली विधान सभा की संरचना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने विधायकों को विभिन्न समितियों के बारे में जानकारी दी, जिन्हें अक्सर “मिनी सदन“ कहा जाता है और जो शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन समितियों का गठन आगामी वित्तीय वर्ष में किया जाएगा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उद्धृत करते हुए कहा कि सरकारें आएंगी, जाएंगी, मगर ये देश और उसका लोकतंत्र रहना चाहिए।
बिरला ने कहा कि सदस्यों को लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करते समय लोकतांत्रिक भावना और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखते हुए सदन के नियमों, प्रक्रियाओं और परंपराओं का पालन करना चाहिए। उन्होंने विधानमंडल को कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रभावी मंच बनाने के लिए टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग और सदस्यों के क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया। विधानमंडलों को सार्थक संवाद का मंच बताते हुए बिरला ने कहा कि सदन में किसी भी प्रकार का गतिरोध नहीं होना चाहिए तथा असहमति को गरिमापूर्ण ढंग से तथा सार्थक संवाद के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए। अध्यक्ष बिरला ने सदस्यों से सार्वजनिक जीवन में आचरण तथा नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने का आग्रह किया। स्वतंत्रता संग्राम तथा आधुनिक भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना के साथ जुड़े दिल्ली विधान सभा के
गौरवशाली इतिहास का उल्लेख करते हुए अध्यक्ष ने सदस्यों से परंपराओं को कायम रखने तथा उन्हें और मजबूत बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विधायकों का आचरण तथा विधान सभा में उनके कार्य तथा चर्चाएं देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत बनाती हैं।
बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अच्छे श्रोता बनने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि सुनना भी उतना ही जरूरी है जितना अपनी बात कहना। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छा वक्ता बनने के लिए अच्छा श्रोता बनना आवश्यक है। बिरला ने यह भी कहा कि पुरानी चर्चा-संवाद के अध्ययन के साथ ही कानूनों तथा नए विचारों को सीखने तथा समझने की सोच के साथ काम करना आवश्यक है। बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को विधानसभा के नियमों और प्रक्रियाओं, भारत के संविधान, विशेषकर उन धाराओं से परिचित होना चाहिए जो आपके राज्य, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से संबंधित हैं। अध्यक्ष ने कहा कि विधि निर्माता को जितनी अधिक जानकारी होगा, वह विधान सभा में उतना ही अधिक प्रभावी होगा। बिरला ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधि जितनी अधिक तकनीक अपनाएंगे, उनकी चर्चाएं और विचार-विमर्श उतना ही बेहतर होगा।
इस अवसर पर, लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने विधायी प्रारूपण के ज्ञान के महत्व को दोहराते हुए कहा कि विधायी प्रारूपण में कुशल जनप्रतिनिधि अपने राज्य के विकास और शासन में सार्थक योगदान दे सकते हैं। अच्छे विधायी प्रारूपण के माध्यम से, विधायक विधान सभा की मदद कर सकता है तथा प्रभावी कानून बनाने और लोगों तक सेवाएँ बेहतर ढंग से पहुंचाने में सरकार की मदद कर सकता है। बिरला ने कहा कि लोकतंत्र का आधार संवाद और आम सहमति है, इसलिए संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक और रचनात्मक होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सदस्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी भाषा, आचरण और तर्क संसदीय मानदंडों के अनुरूप हों। अध्यक्ष ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और उनके सकारात्मक योगदान से लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होती है। समितियों को लघु विधानमंडल बताते हुए, बिरला ने सदस्यों से समिति की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया।
- नियमों को समझने के महत्व पर भी जोर दिया
दिल्ली विधान सभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने लोक सभा अध्यक्ष और विधायकों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम न केवल विधायी दायित्वों को बेहतर ढंग से समझने का अवसर है, बल्कि एक-दूसरे से सीखने और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का मंच भी है। गुप्ता ने संसदीय प्रक्रियाओं और नियमों को समझने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने नए सदस्यों से नियम पुस्तिका, विशेष रूप से आचार संहिता को अच्छी तरह से पढ़ने और सदन की कार्यवाही के दौरान इन दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया।
- दिल्ली के लोगों ने हम पर बहुत भरोसा किया : रेखा गुप्ता
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने हम पर बहुत भरोसा किया है। हर पल कीमती है। इसका सम्मान और सही ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। हमारा एकमात्र उद्देश्य दिल्ली की प्रगति है और आज जो सौहार्दपूर्ण माहौल है, उसे अगले पांच साल तक भी बनाए रखना चाहिए। विकास मार्ग में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक हृदयस्पर्शी पद को उद्धृत करते हुए, उन्होंने बड़ी उपलब्धियाँ हासिल करने में सामूहिक प्रयास के महत्व को रेखांकित कियाः
“पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है
तू जरा भी साथ दे तो और बात है
चलने को तो एक पांव पर भी चलते हैं लोग
दूसरा भी साथ दे तो और बात है”
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