स्वदेशी ज्ञान परंपरा पर आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
- केंद्रीय मंत्री ने जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध आवश्यक उपायों पर दिया जोर
- भारत की युवा शक्ति को सही दिशा देने की आवश्यकता पर बल दिया
नई दिल्ली MCD LIVE NEWS
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने नई दिल्ली में आयोजित स्वदेशी ज्ञान परंपरा और धारणक्षम विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। शैक्षिक फाउंडेशन, शिवाजी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), और राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद के सहयोग से यह दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसमें ’स्वदेशी ज्ञान के धारणक्षम विकास में योगदान’ पर विस्तृत चर्चा की गई। समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. आर.के. मित्तल, कुलपति, डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, एवं प्रो. अशोक के. नागावत, दिल्ली स्किल और एंटरप्रेन्योरशिप विश्वविद्यालय, की गरिमामयी उपस्थिति रही। शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता के द्वारा समापन सत्र की अध्यक्षता की गई। प्रो. वीरेंद्र भारद्वाज, प्राचार्य, शिवाजी कॉलेज, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से महेंद्र कपूर, संगठन मंत्री, जी. लक्ष्मण, सह संगठन मंत्री, प्रो. गीता भट्ट, महामंत्री और प्रो. रवि प्रकाश टेकचंदानी, निदेशक, छब्च्ैस् की भी इस सत्र में उपस्थिति रही। प्राप्त जानकारी के अनुसार दो दिवसीय सम्मेलन में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, शिक्षकों सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे। कुल 9 तकनीकी सत्रों में 340 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
मुख्य अतिथि, भूपेंद्र यादव ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध आवश्यक उपायों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, जल, और खाद्य संरक्षण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ई-कचरे का प्रबंधन, एकल उपयोग प्लास्टिक का उन्मूलन और स्वस्थ जीवनशैली तकनीकी विकास के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने “एक पेड़ मां के नाम“ के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को दोहराया और पृथ्वी के प्रति आभार और सेवा की भावना जागृत करने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि, प्रो. आर.के. मित्तल ने अपने संबोधन में विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को केवल आर्थिक उन्नति से नहीं, बल्कि पर्यावरण और स्वरोजगार से संबंधित समग्र दृष्टिकोण से प्राप्त करने की बात कही। उन्होंने विकेंद्रीकरण प्रणाली को सशक्त बनाने और भारत की युवा शक्ति को सही दिशा देने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. अशोक नागावत ने भारत की विचारशील परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, आधुनिक तकनीकी माध्यमों का उपयोग कर भारत को विकसित और समृद्ध बनाने का आह्वान किया। समापन वक्तव्य में प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने भारतीय ज्ञान परंपरा की निरंतरता को बनाए रखने और सर्व-सुख की कल्पना पर आधारित विकसित भारत की दिशा में काम करने की बात कही। शैलेश मिश्रा ने आयोजन समिति, अतिथियों, और उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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