जीएसटीए ने राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों को पुनर्स्थापित करने की मांग की
- मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जल्द हस्तक्षेप की मांग
नई दिल्ली MCD LIVE NEWS
राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिख कर राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों (आरपीवीवी) की पुनर्स्थापना और संरक्षण के लिए जल्द हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वर्ष 1997 में भाजपा सरकार द्वारा स्थापित इन विद्यालयों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले मेधावी और वंचित छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान की थी, जिससे हजारों छात्र देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे इसरो, गूगल, आईआईएम, आईआईटी व सिविल सेवाओं और अन्य बड़े संस्थानों में स्थान प्राप्त कर चुके हैं। महासचिव यादव ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से अनुरोध किया कि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए इस महत्वपूर्ण विषय पर सरकार तुरंत ठोस निर्णय ले। उनका कहना था कि आरपीवीवी का विघटन न केवल दिल्ली के मेधावी छात्रों के साथ अन्याय है, बल्कि सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता को भी कमजोर करने का एक सोचा-समझा प्रयास है। शिक्षक संघ इस विषय को लेकर पूरी गंभीरता से सक्रिय रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न किया जाए।
महासचिव यादव ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार ने आरपीवीवी को समाप्त करने की योजना बनाकर दिल्ली की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास किया। ’स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस’ (एसओएसई) के नाम पर इन विद्यालयों को समाप्त करने का षड्यंत्र रचा गया, जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता को दरकिनार कर राजनीतिक प्रचार को प्राथमिकता दी गई। दिल्ली बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत कर यह बदलाव लागू किया गया, जिससे न केवल आर पीवीवी की मूल भावना और उद्देश्य पर गहरा आघात पहुँचा, बल्कि छात्रों के लिए शिक्षा में असमानताएं भी उत्पन्न हुईं। उन्होंने यह भी कहा कि एसओएसई की कार्यशैली में निजी कोचिंग एजेंसियों को शिक्षा में शामिल करना, पाठ्यक्रम और निर्धारित पुस्तकों की अनुपलब्धता, केवल ऑनलाइन अनौपचारिक संचार के माध्यम से छात्रों को निर्देश देना, और परीक्षा-उन्मुख शिक्षण पद्धति अपनाना दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्रों को शिक्षा के नाम पर भटकाने जैसा है। इसके अलावा, स्थायी सरकारी शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की नियुक्ति में अनिश्चितता, बिना संसाधनों के स्कूल संचालन और प्रशासनिक कठिनाइयों के कारण शिक्षक और छात्र दोनों ही परेशान हैं।
महासचिव अजय वीर यादव ने दिल्ली सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह इस गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लें और राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय को उनकी मूल संरचना में पुनः स्थापित करें। महासचिव अजय वीर यादव ने मांग की कि एसओएसई की मौजूदा संरचना को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर प्रतिभा विद्यालयों को पुनर्जीवित किया जाए, जो कभी भाजपा सरकार की दूरदृष्टि के प्रतीक थे और जिन्होंने सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की थी। इसके साथ ही, आगामी शैक्षणिक सत्र से प्रतिभा विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया को पुनः प्रारंभ करने का भी आग्रह किया गया, ताकि जरूरतमंद छात्रों को इन उत्कृष्ट संस्थानों का लाभ दोबारा मिल सके।
राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिख कर राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों (आरपीवीवी) की पुनर्स्थापना और संरक्षण के लिए जल्द हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वर्ष 1997 में भाजपा सरकार द्वारा स्थापित इन विद्यालयों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले मेधावी और वंचित छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान की थी, जिससे हजारों छात्र देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे इसरो, गूगल, आईआईएम, आईआईटी व सिविल सेवाओं और अन्य बड़े संस्थानों में स्थान प्राप्त कर चुके हैं। महासचिव यादव ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से अनुरोध किया कि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए इस महत्वपूर्ण विषय पर सरकार तुरंत ठोस निर्णय ले। उनका कहना था कि आरपीवीवी का विघटन न केवल दिल्ली के मेधावी छात्रों के साथ अन्याय है, बल्कि सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता को भी कमजोर करने का एक सोचा-समझा प्रयास है। शिक्षक संघ इस विषय को लेकर पूरी गंभीरता से सक्रिय रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न किया जाए।
महासचिव यादव ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार ने आरपीवीवी को समाप्त करने की योजना बनाकर दिल्ली की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास किया। ’स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस’ (एसओएसई) के नाम पर इन विद्यालयों को समाप्त करने का षड्यंत्र रचा गया, जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता को दरकिनार कर राजनीतिक प्रचार को प्राथमिकता दी गई। दिल्ली बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत कर यह बदलाव लागू किया गया, जिससे न केवल आर पीवीवी की मूल भावना और उद्देश्य पर गहरा आघात पहुँचा, बल्कि छात्रों के लिए शिक्षा में असमानताएं भी उत्पन्न हुईं। उन्होंने यह भी कहा कि एसओएसई की कार्यशैली में निजी कोचिंग एजेंसियों को शिक्षा में शामिल करना, पाठ्यक्रम और निर्धारित पुस्तकों की अनुपलब्धता, केवल ऑनलाइन अनौपचारिक संचार के माध्यम से छात्रों को निर्देश देना, और परीक्षा-उन्मुख शिक्षण पद्धति अपनाना दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्रों को शिक्षा के नाम पर भटकाने जैसा है। इसके अलावा, स्थायी सरकारी शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की नियुक्ति में अनिश्चितता, बिना संसाधनों के स्कूल संचालन और प्रशासनिक कठिनाइयों के कारण शिक्षक और छात्र दोनों ही परेशान हैं।
महासचिव अजय वीर यादव ने दिल्ली सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह इस गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लें और राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय को उनकी मूल संरचना में पुनः स्थापित करें। महासचिव अजय वीर यादव ने मांग की कि एसओएसई की मौजूदा संरचना को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर प्रतिभा विद्यालयों को पुनर्जीवित किया जाए, जो कभी भाजपा सरकार की दूरदृष्टि के प्रतीक थे और जिन्होंने सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की थी। इसके साथ ही, आगामी शैक्षणिक सत्र से प्रतिभा विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया को पुनः प्रारंभ करने का भी आग्रह किया गया, ताकि जरूरतमंद छात्रों को इन उत्कृष्ट संस्थानों का लाभ दोबारा मिल सके।

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