IARI ने किसानों को सशक्त बनाने पर दिया जोर
नई दिल्ली, 26 मार्च 2025 / MCD LIVE NEWS

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संभाग द्वारा "बीज गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियाँ" विषय पर एकदिवसीय प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन 25 मार्च 2025 को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अनुसूचित जाति उप-योजना (SCSP) के तहत आयोजित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति के किसानों सहित कृषकों को बीज नवाचारों से अवगत कराना और बीज गुणवत्ता प्रबंधन को सुदृढ़ बनाना था। इस कार्यक्रम में गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) के भौपुर और गालंद गांवों के लगभग 100 किसान तथा संस्थान के वैज्ञानिक, संकाय सदस्य और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। प्रक्षेत्र दिवस में संस्थान द्वारा विकसित उच्च उपज देने वाली फसल किस्मों और बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रभाग द्वारा विकसित उन्नत बीज प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया। इनमें रबी फसलों के बीज उत्पादन तकनीक, बीज गुणवत्ता परीक्षण प्रोटोकॉल, भंडारण समाधान, तथा बीज उन्नयन विधियों का प्रदर्शन शामिल था। इंटरएक्टिव प्रदर्शन के माध्यम से किसानों को फसल उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने हेतु व्यावहारिक जानकारी दी गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. रवींद्र नाथ पडारिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार) ने किया। उन्होंने फसल उत्पादकता और आय वृद्धि में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। डॉ. संदीप कुमार लाल, नोडल अधिकारी (SCSP), ने इस योजना के अंतर्गत किसानों को दी जा रही सुविधाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अनुसूचित जाति के किसानों को पूसा संस्थान द्वारा विकसित उच्च उपज वाले बीज, कृषि उपकरण (जैसे फावड़ा, खुर्पी, पावर स्प्रेयर आदि) नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। डॉ. ज्ञान पी. मिश्रा, प्रमुख, बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संभाग ने किसानों को वैज्ञानिकों के साथ संवाद स्थापित करने और बीज संबंधी वास्तविक समस्याओं के समाधान हेतु सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया।
किसानों ने कार्यक्रम के अंतर्गत संरक्षित खेती प्रौद्योगिकी केंद्र (CPCT) का दौरा भी किया, जहां उन्होंने टमाटर, शिमला मिर्च और खीरा जैसी सब्जियों की संरक्षित वातावरण में खेती की उन्नत तकनीकों का अवलोकन किया। इससे उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों की नई जानकारी मिली। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें पूसा संस्थान की किसानों के लिए नवीनतम कृषि तकनीकों को उपलब्ध कराने और समावेशी कृषि विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
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