"उत्तरी भारत में उन्नत प्याज की उत्पादन तकनीकी एवं प्रबंधन" सेमिनार का आयोजन
- बागवानी फसलों की खेती से किसान भाई अपनी आय दुगनी कर सकते हैं।
- खरीफ मौसम में प्याज की खेती को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025 MCD LIVE NEWS
किसानों की आमदनी दो गुणी करने और देश का विकसित बनाने के दिशा में कृषि वैज्ञानिक भी अपना योगदान दे रहे है। इसी कड़ी में दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्र ने दो दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार "उत्तरी भारत में उन्नत प्याज की उत्पादन तकनीकी एवं प्रबंधन" विषय पर एकीकृत बागवानी विकास मिशन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से दिनांक 16 - 17 अप्रैल, 2025 को कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में आयोजित किया जा रहा है। इस सेमिनार को आयोजित करने का मुख्य उदेश्य उत्तरी भारत में प्याज उत्पादन को नवीनतम तकनीकी एवं खरीफ मौसम में प्याज की खेती को बढ़ावा देना है। जिससे प्याज की आपूर्ति देश में वर्ष भर बनी रहे एवं किसानों की आय में बढ़ोतरी हो।
कार्यक्रम की शुरुआत में कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के अध्यक्ष डॉ देवेंद्र कुमार राणा ने मंच पर उपस्थित मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, विशेषज्ञ, कृषि प्रसार अधिकारी, किसान एवं महिला किसानों व उपस्थित सभी अधिकारियों का हृदय से स्वागत करते हुए दो दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार के उद्देश्यों से अवगत कराया। इस सेमिनार के मुख्य अतिथि के रूप में नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् में सहायक महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ आर. आर. बर्मन ने अपने उद्बोधन में उपस्थित किसानों एवं महिला किसानों को बताया कि भारत में वर्तमान परिदृश्य में बदलते खेती के स्वरुप को ध्यान में रखते हुए अब खेती अनाज वाली फसलों के बदले बागवानी फसलों की खेती से किसान भाई अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं।
इस अवसर पर उन्होंने किसानों को कृषक उत्पादक संगठन यानी एफ. पी. ओ. के माध्यम से संगठित होकर कृषि को नई दिशा देने ओर जोर दिया जिससे किसान अपने फार्म पर कृषि इनपुट्स, कृषि यंत्र, सही समय पर नवीनतम तकनीकी जानकारी के साथ साथ बाजार आदि कि उपलब्धता एफ. पी. ओ. के माध्यम से सरल हो जाती है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने वर्तमान भारत में कुपोषण से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे नूट्री स्मार्ट विलेज योजना की विस्तृत जानकारी। साथ ही साथ उन्होंने प्याज के मूल्य संवर्धित उत्पादों एवं उनके बाजार करने से लाभ के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के शाकीय संभाग (सब्जी विज्ञान) में अध्यक्ष डॉ भोपाल सिंह तोमर ने सेमिनार में उपस्थित किसानों को बताया कि सब्जियों कि खेती में प्याज का महत्वपूर्ण स्थान है, उन्होंने वर्तमान में देश के विभिन्न कृषि संस्थानों से रिलीज़ प्याज कि उन्नत किस्में जैसे पूसा रिद्धि, पूसा रेड, एनएचआरडीएफ रेड, एल- 883 (खरीफ), एनएचआरडीएफ रेड - 4, एनएचआरडीएफ लाइन 920, भीमा शक्ति, भीमा किरण, भीमा रेड, भीमा लाइट रेड आदि उन्नत प्रजातियां जो उत्तरी भारत में आसानी से रबी एवं खरीफ मौसम में लगाई जा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि टपक सिंचाई, फर्टिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकी नहीं अपनाने के कारण भारत में प्याज की उत्पादकता वर्तमान में चीन से 10 - 15 टन प्रति हेक्टेयर अभी भी पीछे है अगर हम इन तकनीक को अपनाएं तो प्याज का उत्पादन 25 प्रतिशत तक अधिक लिया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि किसान अगर संगठन या समूह बनाकर प्याज बीज उत्पादन नर्सरी उत्पादन, प्याज भंडार गृह निर्माण, जल संरक्षण आदि को अपना कर गुणवत्ता युक्त प्याज उत्पादन लिया जा सकता है जिससे किसान आत्मनिर्भर होने के साथ - साथ देश के विकास में भागीदार हो सकते हैं।
इस अवसर पर दिल्ली सरकार से आये कृषि प्रसार अधिकारी रविन्द्र एवं धूम सिंह ने सरकार की योजनाओं के बारे में बताया। कृषि विज्ञान केंद्र के बागवानी विशेषज्ञ डॉ राकेश कुमार ने प्याज की उत्पादन तकनीक में बीज उपचार नर्सरी तैयार करना एवं रोपण के तरीकों के साथ एकीकृत पोषण प्रबंधन की जानकारी दी। केंद्र के सस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. समरपाल सिंह ने प्याज में खरपतवार प्रबंधन के विभिन्न तरीके बताये। केंद्र के गृह विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. रितु सिंह ने प्याज के मूल्य संवर्धन उत्पाद निर्माण एवं संरक्षण पर जानकारी दी। इस अवसर पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के 350 किसान एवं महिला किसानों ने भाग लिया।
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