दिल्ली की सड़कों से गायब होती बसें, ग्रामीण परिवहन विकास मंच का फूटा गुस्सा

दिल्ली की सड़कों से गायब होती बसें, ग्रामीण परिवहन विकास मंच का फूटा गुस्सा 

- मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री से इस्तीफे की मांग
- दिल्ली में बसें कम, समस्याएं ज्यादा

 नई दिल्ली MCD LIVE NEWS 

राजधानी दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की बदहाल हालत पर अब जनता का गुस्सा उबाल पर है। ग्रामीण परिवहन विकास मंच ने मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री को आड़े हाथों लेते हुए तत्काल इस्तीफे की मांग की है। मंच ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री आवास पर जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा। बता दे कि हाल ही में उत्तर-पश्चिम दिल्ली के कटेवड़ा गांव में मंच की अहम बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता मंच अध्यक्ष विशाल वत्स ने की, जबकि संचालन महासचिव विजेंद्र डबास ने किया। बैठक में मंच के सदस्यों ने एक सुर में कहा कि “डीटीसी और क्लस्टर बसों की संख्या में भयावह गिरावट आ रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र, अनधिकृत कॉलोनियां और सीमावर्ती इलाके पूरी तरह उपेक्षित हो गए हैं।”

- कोर्ट के आदेशों की हो रही अनदेखी
विजेंद्र डबास ने दो टूक कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार दिल्ली में कम से कम 11,000 बसें होना आवश्यक है, लेकिन पिछले दस वर्षों में यह आंकड़ा कभी 8000 तक भी नहीं पहुंच पाया। “आज हालात इतने खराब हो गए हैं कि डीटीसी की बसें कम होती जा रही हैं, और जो हैं, वे भी खराब रखरखाव या अनियमित रूट संचालन की भेंट चढ़ चुकी हैं। सरकार न तो नई बसें ला रही है, न ही पुरानी व्यवस्था दुरुस्त कर रही है।”

- अनुभवहीन मंत्री और गलत प्राथमिकताएं
मंच ने आरोप लगाया कि जून 2023 में बनी नई बस नीति ने हालात और खराब कर दिए। कई रूट बंद कर दिए गए, जबकि बाकी रूट पर बसें नाममात्र की रह गईं।

डबास ने कहा कि “परिवहन मंत्री अनुभवहीन हैं और दिल्ली की जनता को सुविधा देने की बजाय डीटीसी की बसें पड़ोसी राज्यों को सौंप रहे हैं। ये दिल्लीवासियों के साथ सरासर अन्याय है।”

- सांसद से हस्तक्षेप की मांग, सरकार को अल्टीमेटम
मंच के अध्यक्ष विशाल वत्स ने उत्तर-पश्चिम दिल्ली के सांसद से हस्तक्षेप करने की मांग की और कहा कि “अगर सरकार ने एक सप्ताह के भीतर स्पष्ट कार्ययोजना नहीं दी, तो हम मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे और जनांदोलन खड़ा करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को पहले भी इस संबंध में कई ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन पांच महीने बीतने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ।

- दिल्ली सरकार की “बस विफलता नीति” पर सवाल
यह सवाल अब दिल्ली सरकार के सिर पर सीधा तीर बनकर खड़ा हो गया है: कहां हैं वो 11,000 बसें? कहां गईं यात्रियों की प्राथमिकताएं? जब दिल्ली की जनता गर्मी, प्रदूषण और ट्रैफिक से बेहाल है, ऐसे में बसों की कमी किसी जनहित का हनन नहीं तो और क्या है?

- कब जागेगी दिल्ली की भाजपा सरकार?
दिल्ली की सड़कों पर बसें कम हो रही हैं, और जनता का धैर्य भी। ग्रामीण परिवहन विकास मंच की चेतावनी को हल्के में लेना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है। जनता अब केवल वादों से नहीं, बदलाव से भरोसा करेगी। बसों की मांग कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, यह दिल्ली की रोजमर्रा की ज़रूरत है — और इसे नजरअंदाज करना जनता के सब्र के साथ खिलवाड़ है।

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