दया राम, सफियाबाद मार्ग, नरेला। 26 जुलाई 2025 MCD LIVE NEWS
आर.के. इंटरनेशनल स्कूल का प्रांगण उस समय सांस्कृतिक उल्लास, पारंपरिक रंगों और भावनात्मक समर्पण से सराबोर हो उठा जब वहाँ "साँझ तीज की – एक साँझ सहेलियों के संग, झूलों के रंग" कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल छात्राओं के लिए बल्कि उनकी माताओं के लिए भी अविस्मरणीय अनुभव बन गया, जिसमें मातृत्व, भारतीय परंपराओं और सामाजिक सौहार्द का सुंदर संगम देखने को मिला।
"तीज नारी की संवेदनशीलता और शक्ति का उत्सव है” : सुनीता शर्मा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्यालय की प्रबंध निदेशिका सुनीता शर्मा ने कहा कि “तीज केवल पर्व नहीं, बल्कि यह नारी की संवेदनशीलता, उसकी आंतरिक शक्ति और सामाजिक भूमिका का उत्सव है। हम चाहते हैं कि बच्चे हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ें और अभिभावकों के साथ एक मजबूत भावनात्मक रिश्ता विकसित करें।”
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की प्रबंध निदेशिका सुनीता शर्मा, निदेशिका ऐश्वर्या शर्मा, प्रबंधन प्रतिनिधि शिल्पी शर्मा एवं प्रधानाचार्या निधि नेहरा द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस दौरान विद्यालय परिसर तीज के पारंपरिक लोक गीतों, नृत्यों और सजावटी झूलों से जीवंत हो उठा।
छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से तीज पर्व की महत्ता, नारी शक्ति और लोक संस्कृति की सुंदर झलक प्रस्तुत की। लोकगीतों, नृत्यों और कविताओं ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
- माताओं के लिए रैंप वॉक, झूले और विशेष उपाधियाँ
कार्यक्रम की विशेषता बनीं स्कूल की छात्राओं की माताएँ, जिनके लिए आयोजित रैंप वॉक, खेल और पारंपरिक झूले पूरे आयोजन में आकर्षण का केंद्र बने। इन माताओं को “तीज रानी”, “झूलों की रानी”, “तीज दिवा” और “संस्कृति सारथी” जैसी रचनात्मक उपाधियों से नवाजा गया।
- "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान ने छू लिया दिल
कार्यक्रम के अंतर्गत "एक पेड़ माँ के नाम" नामक अभिनव अभियान की शुरुआत की गई, जिसमें हर माँ के सम्मान में एक वृक्षारोपण किया गया। यह पहल मातृत्व की जीवनदायिनी भूमिका और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का प्रतीक बन गई।
“ऐसे आयोजन विद्यालय और अभिभावकों के रिश्ते को मजबूत करते हैं” : प्रधानाचार्या निधि नेहरा
प्रधानाचार्या निधि नेहरा ने सभी माताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि "ऐसे आयोजनों से न केवल संस्कृति का संरक्षण होता है, बल्कि विद्यालय और अभिभावकों के बीच संवाद और सहभागिता का भाव भी प्रबल होता है।"
कार्यक्रम का समापन हर्षोल्लास, भावनात्मक जुड़ाव और उत्सव की स्मृतियों के साथ हुआ। झूलों पर झूलती माताओं की मुस्कान और बच्चों के चेहरे की चमक ने यह प्रमाणित कर दिया कि "साँझ तीज की" केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव था – जहाँ मातृत्व, परंपरा और प्रेम एक साथ झूम उठे।
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