दादी तीज-सिंधारा उत्सव में उमड़ा आस्था और संस्कृति का संगम

दादी तीज-सिंधारा उत्सव में उमड़ा आस्था और संस्कृति का संगम 
- रजवाड़ा पैलेस में दादी जी सेवा समिति का भव्य आयोजन

नई दिल्ली | MCD LIVE NEWS 

राजधानी दिल्ली के वज़ीरपुर स्थित रजवाड़ा पैलेस में रविवार को दादी जी सेवा समिति द्वारा आयोजित दादी तीज-सिंधारा संकीर्तन कार्यक्रम में श्रद्धा, भक्ति और राजस्थानी संस्कृति की अनुपम छटा देखने को मिली। इस पारंपरिक आयोजन में सैकड़ों सुहागन महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर दादी जी का तीज महोत्सव बड़े ही उत्साह और श्रद्धा से मनाया।कार्यक्रम की विशेष बात रही — दादी जी की भक्त महिलाओं का पारंपरिक अंदाज़। लाल साड़ी, चुनरी, मेहंदी, काजल, बिंदी, बोरला और चूड़ियों से सजी नववधुएं और महिलाएं जैसे स्वयं देवी की उपासना के लिए धरती पर अवतरित हो गई हों। माहौल भक्तिमय था और हर कोने में राजस्थानी मस्ती और सौभाग्य का उल्लास छलक रहा था।

- पूजन-अर्चना का भावपूर्ण दृश्य
सेवादार मोना अग्रवाल और रमेश अग्रवाल ने बताया कि दादी जी का विशेष श्रृंगार इस अवसर पर श्रद्धा के साथ किया गया। महिलाएं दादी जी को काजल, बिंदी, रोली और चुनर पहनाकर चूड़ला-गजरा का पारंपरिक उत्सव मनाती हैं। सुहागनें विशेष रूप से अपने सिर पर गजरा और चुनर रखकर नृत्य करती हुई दादी जी की पूजा-अर्चना में लीन रहीं।
- भजन संध्या में भक्ति की वर्षा
कार्यक्रम को भक्ति रस से सराबोर किया कोलकाता के प्रसिद्ध भजन गायक सौरभ मधुकर और दिल्ली के अजय तुलस्यान ने। उन्होंने अपनी मधुर आवाज़ में दादी जी की महिमा का गुणगान करते हुए उपस्थित भक्तों को भावविभोर कर दिया।


- सेवा भाव से सजी प्रसाद व्यवस्था
कार्यक्रम की सबसे उल्लेखनीय बात रही — भोजन प्रसाद की अनुशासित व्यवस्था। दादी भक्तों ने स्वयंसेवक बनकर सभी को प्रेमपूर्वक भोजन कराया। कहीं कोई आपाधापी या अव्यवस्था नहीं थी, जो भारतीय संस्कृति के "अतिथि देवो भवः" और "सेवा परमो धर्मः" जैसे आदर्शों को सजीव कर गया।


- संस्कृति और श्रद्धा का संगम
पवन सुरेका (त्रि नगर, दिल्ली) ने इस आयोजन को राजस्थानी लोकसंस्कृति और दादी जी के प्रति आस्था का जीवंत संगम बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल समाज को एकजुट करते हैं बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य भी करते हैं। बता दें कि दादी तीज-सिंधारा उत्सव एक धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का उत्सव बनकर उभरा। यह आयोजन दिखाता है कि श्रद्धा, सेवा और संस्कृति जब एक साथ आती हैं, तो समाज में समरसता, ऊर्जा और सौहार्द का संचार होता है। ऐसे आयोजनों की प्रेरणा से नारी शक्ति, संस्कृति और धर्म की त्रिवेणी आगे भी इसी प्रकार बहती रहे — यही सच्ची सेवा है!


Comments