यात्री टिकट सुविधा केंद्र बना 'असुविधा केंद्र'

यात्री टिकट सुविधा केंद्र बना 'असुविधा केंद्र'

- एजेंट्स की दुर्दशा, यात्रियों को भारी परेशानी
- रेलवे से योजना में संशोधन की गुहार, प्रधानमंत्री सहित रेलमंत्री को देंगे ज्ञापन

नई दिल्ली MCD LIVE NEWS 

 भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी योजना 'यात्री टिकट सुविधा केंद्र' (वाईटीएसके) का उद्देश्य था कि गाँव, कस्बों और पिछड़े इलाकों में लोगों को टिकट बुकिंग की सहज सुविधा मिल सके, लेकिन आज यही योजना खुद असुविधा का प्रतीक बनती जा रही है। यात्रियों को समय पर टिकट नहीं मिल रहे और एजेंट्स करोड़ों रुपये निवेश कर भी भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। अग्रिम आरक्षण टिकटों और तत्काल टिकटों पर वाईटीएसके काउंटरों से बुकिंग पर लगाए गए समय-सीमा प्रतिबंधों ने न सिर्फ सुविधा को बाधित किया है, बल्कि यात्रियों का भरोसा भी तोड़ा है। 


वाईटीएसके एजेंट्स के लिए लगभग 12 लाख रुपये का लाइसेंस शुल्क, कार्यालय खर्च, कर्मचारियों का वेतन, ईएमआई, इंटरनेट और रखरखाव जैसी जिम्मेदारियाँ तो हैं, लेकिन टिकट बिक्री के समय प्रतिबंधों और सर्विस चार्ज में 13 वर्षों से वृद्धि न होने के कारण उनका व्यवसाय चौपट हो गया है। जब वाईटीएसके काउंटर खुलते हैं, तब तक अधिकतर टिकट आईआरसीटीसी या अन्य पोर्टल्स के माध्यम से बिक चुके होते हैं, जिससे ग्रामीण, अशिक्षित, वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांगजन वंचित रह जाते हैं।

वाईटीएसके एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी आर.के. बंसल व कार्तिक गोयनका ने रेल मंत्रालय से बार-बार आग्रह किया है कि इन काउंटरों को पीआरएस काउंटरों की तरह सुविधाएं दी जाएं, तत्काल और एडवांस बुक करवाई टिकटों पर समय प्रतिबंध हटाए जाएं, सेवा शुल्क बढ़ाया जाए और योजना का गजट नोटिफिकेशन जारी हो ताकि कानूनी स्पष्टता आए। उनका तर्क है कि वाईटीएसके काउंटर सीधे रेलवे सर्वर से जुड़े हैं और ब्लैक मार्केटिंग की संभावना लगभग नहीं के बराबर है। यदि समय रहते योजना में सुधार नहीं किया गया, तो न केवल एजेंट्स का नुकसान होगा, बल्कि रेलवे की ग्रामीण पहुँच और राजस्व भी प्रभावित होंगे। जिसके चलते अभी से ही लंबी दूरियों की गाड़ियों में सीटें खाली पड़ी है। इस मामले में एसोसिएशन जल्द ही प्रधानमंत्री सहित रेलमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।

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