सिद्ध बाबा मंगलनाथ योगीराज जी की 27वीं पुण्यतिथि पर सुंदरकांड पाठ एवं विशाल भंडारे का आयोजन

सिद्ध बाबा मंगलनाथ योगीराज जी की 27वीं पुण्यतिथि पर सुंदरकांड पाठ एवं विशाल भंडारे का आयोजन
- प्राचीन शिव-हनुमान मंदिर, करनाल रोड, सिंघु बॉर्डर दिल्ली में हुआ आयोजन

दिल्ली देहात 07 अगस्त 2025 MCD LIVE NEWS 

श्री श्री 1008 सिद्ध बाबा मंगलनाथ योगीराज जी की 27वीं पुण्यतिथि के अवसर पर दादा जी परिवार द्वारा एक भव्य और श्रद्धा से परिपूर्ण आयोजन किया गया। यह आयोजन करनाल रोड के सिंघु बॉर्डर स्थित प्राचीन शिव हनुमान मंदिर में किया गया, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 9:30 बजे अर्थ सहित सुंदरकांड पाठ से हुई, जिसे आचार्य तरुण शांडिल्य जी एवं आचार्य लखन शांडिल्य जी ने विधिपूर्वक संपन्न कराया। पूरे वातावरण में भक्ति, श्रद्धा और राम नाम का संकीर्तन गूंजता रहा। भक्तों ने हनुमत इच्छा तक चलने वाले इस पाठ में भाग लेकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया।

सुंदरकांड पाठ के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध एवं स्वादिष्ट व्यंजनों की व्यवस्था की गई थी। इस धार्मिक आयोजन में स्व. पं. ईश्वरदत्त शर्मा, स्व. पं. रतिराम शर्मा एवं सूर्य कवि पं. लक्ष्मी चंद की पुण्य स्मृति को भी श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम संयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं का आभार प्रकट करते हुए कहा कि सिद्ध बाबा मंगलनाथ योगीराज जी की दिव्य शिक्षाओं और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रसार इस आयोजन का उद्देश्य था। जय श्री राम के उद्घोष से गूंजते इस आयोजन में भक्ति और सेवा की अद्भुत झलक देखने को मिली।

- कौन हैं सिद्ध बाबा मंगलनाथ योगीराज जी
सिद्ध बाबा मंगलनाथ योगीराज जी एक दिव्य आत्मा, महान तपस्वी और सिद्ध योगी के रूप में जाने जाते हैं। उनका जीवन सत्कर्म, सेवा, साधना और जनकल्याण को समर्पित रहा। उनके भक्त उन्हें “श्री श्री 1008 सिद्ध बाबा मंगलनाथ योगीराज जी” के नाम से श्रद्धा के साथ स्मरण करते हैं। जानकारी के अनुसार यहाँ उनके जीवन से जुड़ी कुछ मुख्य बातें साझा की जा रही हैं, जो उनके भक्तों और अनुयायियों से प्राप्त लोकश्रुति, परंपरा और श्रद्धा पर आधारित हैं:
- जीवन दर्शन और साधना मार्ग
बाबा मंगलनाथ योगीराज जी का जीवन पूर्ण रूप से योग-साधना, ध्यान, और भक्ति मार्ग में रमा हुआ था।उन्होंने हनुमान जी, शिव शंकर, और रामभक्ति में गहन श्रद्धा रखी और जीवन पर्यंत उनका स्मरण और जाप किया। बाबा जी को सिद्धियों की प्राप्ति के बाद ‘सिद्ध बाबा’ की उपाधि दी गई। कहा जाता है कि वे कठिन तप और साधना से दिव्य ज्ञान व शक्तियों के स्वामी बने।

- साधना स्थल और धार्मिक प्रभाव
उनका प्रमुख साधना स्थल प्राचीन शिव हनुमान मंदिर, टी-प्वाइंट, करनाल रोड, सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-40) के पास था। इसी स्थान पर आज भी उनकी स्मृति में सुंदरकांड पाठ, भंडारे, कीर्तन, और पुण्यतिथि समारोह आयोजित होते हैं। बाबा जी ने न केवल आध्यात्मिक ज्ञान दिया, बल्कि जनसेवा को भी धर्म का अंग बताया।

- बाबा जी के उपदेश और विचार
"भक्ति में शक्ति है, सेवा में सिद्धि है" — यह उनका मुख्य सन्देश माना जाता है। उन्होंने हमेशा निस्वार्थ सेवा, ध्यान, सत्य, और समर्पण को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। बाबा जी का जीवन उदाहरण है कि आत्मानुभूति और समाज सेवा दोनों साथ चल सकते हैं।

- पुण्यतिथि और श्रद्धांजलि आयोजन
हर वर्ष उनकी पुण्यतिथि पर सुंदरकांड पाठ, विशाल भंडारा, और स्मरण सभा होती है, जिसमें भक्तजन श्रद्धा से भाग लेते हैं। यह आयोजन दादा जी परिवार द्वारा करवाया जाता है जो बाबा जी के सेवाभावी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।


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