- वार्ड-41 में बनने जा रही है पहली MCD एलोपैथिक डिस्पेंसरी
- 8 लाख की आबादी को होगा लाभ
नई दिल्ली, 1 अगस्त 2025।
दिल्ली के अमन विहार वार्ड-41 के निवासियों के लिए एक ऐतिहासिक और बहुप्रतीक्षित स्वास्थ्य सुविधा की नींव रखी जा रही है। वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में जूझ रहे इस क्षेत्र को अब जल्द ही अपनी पहली दिल्ली नगर निगम (MCD) की एलोपैथिक डिस्पेंसरी मिलने जा रही है। यह डिस्पेंसरी बाबा विद्यापति मार्ग स्थित शहीद भगत सिंह पार्क के पास निर्मित होगी।
इस महत्वपूर्ण योजना के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से 833 वर्ग गज भूमि का स्थानांतरण दिल्ली नगर निगम को कराया गया है, जिसके पीछे वार्ड पार्षद रविन्द्र भारद्वाज का दो वर्षों का अथक संघर्ष और समर्पण है। यह डिस्पेंसरी सिर्फ अमन विहार वार्ड-41 ही नहीं, बल्कि पूरी किराड़ी विधानसभा — जिसमें पाँच वार्ड और लगभग 8 लाख की आबादी है — के लोगों के लिए एक वरदान सिद्ध होगी।
- विकास की नई इबारत लिखी रविन्द्र भारद्वाज ने
रविन्द्र भारद्वाज का नाम अब अमन विहार के विकास के पर्याय के रूप में लिया जाने लगा है। पार्षद बनने के बाद उन्होंने क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे पहले ही क्षेत्र में पहला MCD प्राथमिक विद्यालय, पहला सार्वजनिक पार्क, पहला कूड़ा निष्पादन कॉम्पेक्टर, पहली पुस्तकालय (लाइब्रेरी) और दिल्ली नगर निगम का पहला बारातघर (निर्माणाधीन) जैसी कई योजनाएं सफलतापूर्वक शुरू करवा चुके हैं। अब उसी कड़ी में यह एलोपैथिक डिस्पेंसरी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नया अध्याय लिखेगी।
- बिना सरकारी ज़मीन के शुरू हुआ था सफर
2017 में जब रविन्द्र भारद्वाज पहली बार पार्षद निर्वाचित हुए, तब अमन विहार वार्ड-41 में दिल्ली नगर निगम की कोई अधिकृत भूमि तक मौजूद नहीं थी। क्षेत्र पूरी तरह अनाधिकृत कॉलोनियों से भरा हुआ था, जहां कोई बुनियादी सुविधा नहीं थी। लेकिन पार्षद के सतत प्रयासों से डीडीए से निगम को भूमि हस्तांतरित करवाई गई और विकास कार्यों का सिलसिला शुरू हुआ।
- स्वास्थ्य सेवा की दिशा में मील का पत्थर
किराड़ी विधानसभा में यह MCD की पहली एलोपैथिक डिस्पेंसरी होगी, जो कि सरकारी चिकित्सा सेवाओं से वंचित लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। इससे क्षेत्र के नागरिकों को छोटी-छोटी बीमारियों के लिए निजी क्लीनिकों में महंगे इलाज से राहत मिलेगी।
- जनहित में एक बड़ी जीत
यह परियोजना दिखाती है कि अगर जनप्रतिनिधि संकल्पित हो तो विकास असंभव नहीं। रविन्द्र भारद्वाज ने अपने कार्यकाल में यह साबित कर दिया कि "विकास के लिए केवल वादे नहीं, जमीनी स्तर पर काम जरूरी है।"
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