राष्ट्रीय शिक्षक दिवस को नज़रअंदाज़, विश्व शिक्षक दिवस पर समारोह की तैयारी
# निगम शिक्षा विभाग का फैसला: अब 5 सितंबर नहीं, 5 अक्टूबर को होगा शिक्षक सम्मान समारोह
# शिक्षकों ने कहा– यह परंपरा से छेड़छाड़, छात्रों की पढ़ाई होगी प्रभावित
# डेप्युटेशन पर आए निदेशक पर आरोप– अपनी कमियां छिपाने को नियमों से खिलवाड़
# निगम शिक्षा विभाग में हड़कंप: शिक्षक सम्मान समारोह टला एक महीने आगे
# संगठनों का आरोप– प्रतियोगिताओं की आड़ में सम्मान समारोह को टालना शिक्षा पर प्रहार
नई दिल्ली। 30 अगस्त / 2025 MCD LIVE NEWS
दिल्ली नगर निगम के शिक्षा विभाग ने इस वर्ष 5 सितंबर (राष्ट्रीय शिक्षक दिवस) की बजाय 5 अक्टूबर (विश्व शिक्षक दिवस) को शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है। विभाग के इस निर्णय ने शिक्षकों और संगठनों में तीव्र असंतोष पैदा कर दिया है। अब तक निगम, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान समारोह हमेशा 5 सितंबर को, पूर्व राष्ट्रपति एवं महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर आयोजित होता रहा है। किंतु इस बार शिक्षा निदेशक—जो बिहार प्रशासनिक सेवा से डेप्युटेशन पर दिल्ली नगर निगम में आए हैं—ने इस परंपरा को बदलने का निर्णय लिया है।
शिक्षक संगठनों का आरोप है कि शिक्षा निदेशक अपनी "कमी छुपाने और वाहवाही लूटने" के लिए नियम-कायदों से परे जाकर यह बदलाव कर रहे हैं। उनका कहना है कि छात्रों की परीक्षाओं के बीच पूरे एक महीने तक शिक्षकों की प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाकर सम्मान समारोह को आगे खिसकाया गया है। इससे न केवल पढ़ाई बाधित होगी, बल्कि पहले से ही शिक्षकों की कमी झेल रहे निगम स्कूलों में छात्रों का शैक्षिक नुकसान होगा।
कई शिक्षकों का मानना है कि “एक दिन का सम्मान समारोह न कर पाने वाला विभाग, एक माह तक प्रतियोगिताओं का आयोजन कर अपनी कमियों को ढकने का प्रयास कर रहा है।” नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि पिछले 8 महीनों से शिक्षा विभाग मुख्यालय में अराजकता का माहौल है। डेप्युटेशन पर आए अधिकारी निगम के स्थायी अधिकारियों और शिक्षकों की राय को महत्व नहीं देते और नियम-कानूनों को ताक पर रखकर मनमानी करते हैं। शिक्षकों के ट्रांसफर और प्रमोशन लिस्ट में धांधली के आरोप भी लगाए गए हैं।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि जब तक निगम शिक्षा विभाग की बागडोर किसी अनुभवी और स्थायी शिक्षा निदेशक के हाथ में नहीं आएगी, तब तक इस प्रकार के "प्रयोग" होते रहेंगे और शिक्षा व्यवस्था व छात्रों का भविष्य दांव पर लगता रहेगा।
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