UER-2 उद्घाटन: भीड़ जुटाने के लिए सरकारी आदेशों का सहारा?
- प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए या फिर भाजपा को सत्ता से भगाने की तैयारी
नई दिल्ली, 16 अगस्त 2025।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 अगस्त को उत्तर पश्चिम दिल्ली में बहुप्रतीक्षित Urban Extension Road-II (UER-2) परियोजना का उद्घाटन करने वाले हैं। यह परियोजना दिल्ली के यातायात जाम की समस्या को कम करने और बाईपास मार्ग उपलब्ध कराने के लिहाज़ से बेहद अहम मानी जा रही है।लेकिन इस ऐतिहासिक अवसर पर भीड़ बढ़ाने के लिए जिस तरह से निगम स्कूलों के शिक्षकों, आंगनवाड़ी कर्मियों और अन्य सरकारी स्टाफ को आदेश देकर कार्यक्रम स्थल पर बुलाया जा रहा है, उसने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
UER-2 परियोजना दिल्ली के लिए निश्चित रूप से मील का पत्थर है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इसके उद्घाटन का महत्व भीड़ की संख्या पर निर्भर करता है या जनता के दिलों में उसकी स्वीकार्यता पर? सरकार और राजनीतिक दलों को चाहिए कि ऐसे ऐतिहासिक अवसरों को राजनीति से ऊपर रखकर जनभागीदारी सुनिश्चित करें, न कि जबरन आदेशों के सहारे भीड़ इकट्ठी करें।
- क्या दिल्ली BJP का जमीनी आधार कमजोर हो गया है?
राजनीतिक हलकों और नागरिक समाज में चर्चा है कि यदि भाजपा के पास जनता से जुड़ा मजबूत संगठनात्मक आधार होता, तो सरकारी कर्मचारियों को जबरन भीड़ जुटाने के लिए आदेश जारी करने की ज़रूरत क्यों पड़ती? शिक्षक संघों ने इस पर नाराज़गी जताई है और कहा कि शिक्षकों का काम बच्चों की पढ़ाई है, राजनीतिक भीड़ जुटाना नहीं।आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी इस पर आपत्ति उठाई है कि उन्हें रविवार की छुट्टी के दिन भी जबरन बुलाया जा रहा है।
- लोकतंत्र पर सवाल
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता का समर्थन स्वाभाविक रूप से मिलना चाहिए, न कि आदेश और दबाव से। जब सरकारी कर्मचारियों को कार्यक्रमों में भीड़ का हिस्सा बनाने के लिए विवश किया जाता है, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सीधा प्रहार है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह परंपरा खत्म होनी चाहिए। सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए करना जनहित के खिलाफ है।
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