फंड नहीं, सिर्फ़ नोटिस! निगम स्कूलों के हालात पर शिक्षकों की कड़ी चोट

फंड नहीं, सिर्फ़ नोटिस! निगम स्कूलों के हालात पर शिक्षकों की कड़ी चोट


#फंड के बिना कैसे सुधरेगी पढ़ाई? दिल्ली नगर निगम स्कूलों में शिक्षकों की पीड़ा—“पैसा नहीं, तो व्यवस्था कैसे दुरुस्त करें”
#करोड़ों का बजट कहाँ गायब? निगम स्कूल बेहाल, शिक्षक बोले—“पैसा दो, व्यवस्था सुधरे”
#दिल्ली का शिक्षा मॉडल सवालों के घेरे में: फंड रोककर शिक्षकों पर नोटिस की मार
#बच्चों का भविष्य दांव पर: निगम स्कूलों में न फंड, न सुविधा, बस नोटिस पर नोटिस
#‘जिम्मेदारी हमारी, संसाधन नहीं’—दिल्ली के स्कूल शिक्षक बोले, नोटिस से नहीं सुधरेगी शिक्षा

नई दिल्ली। 1सितंबर 2025/ MCD LIVE NEWS 

दिल्ली नगर निगम विद्यालयों की हकीकत एक बार फिर सामने आ गई है। औचक निरीक्षण के बाद जहां उप-शिक्षा निदेशक नरेला ज़ोन ने कई प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किए, वहीं स्कूलों के शिक्षकों ने सवाल उठाया है कि जब फंड ही नहीं दिया जाता, तो स्कूलों में बुनियादी व्यवस्था कैसे दुरुस्त हो सकती है?

नाम न छापने की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने बताया कि स्कूलों में शौचालयों की सफाई, बच्चों के बैठने की सुविधा, भवन की मरम्मत और पेयजल व्यवस्था जैसी मूलभूत ज़रूरतें फंड के अभाव में अधूरी पड़ी हैं। उनका कहना है—
👉 “अगर समय पर फंड जारी कर दिया जाता, तो आज स्कूलों की यह हालत नहीं होती और न ही प्राचार्यों को नोटिस का डर झेलना पड़ता।”

निरीक्षण में सामने आई गंदगी, जर्जर भवन और अव्यवस्था ने नगर निगम शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षक साफ कह रहे हैं कि “जिम्मेदारी हम पर थोप दी जाती है, लेकिन संसाधन सरकार और निगम से नहीं मिलते।”
जनता ने निगम प्रशासन से सवाल करते हुए कहा है कि करोड़ों का बजट होने के बावजूद स्कूलों तक फंड क्यों नहीं पहुंच रहा?, जब फंड जारी ही नहीं होता, तो फिर लापरवाही का ठीकरा सिर्फ़ शिक्षकों और प्राचार्यों पर क्यों फोड़ा जा रहा है? और क्या बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के लिए शिक्षा विभाग ही जिम्मेदार नहीं है?

स्थानीय जागरूक नागरिकों का कहना है कि दिल्ली के निगम विद्यालयों में फंड की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई और उनका भविष्य दांव पर है। ऐसे में नोटिस भेजकर समस्या का समाधान नहीं होगा। असली ज़रूरत है कि सरकार और निगम मिलकर स्कूलों तक पर्याप्त फंड और संसाधन पहुंचाएं, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मूलभूत सुविधाएं मिल सकें।



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