निगम शिक्षा विभाग में बड़ा कदम: भ्रष्टाचार के आरोपों में शिक्षा निदेशक संजय सिंह हटाए गए,

निगम शिक्षा विभाग में बड़ा कदम: भ्रष्टाचार के आरोपों में शिक्षा निदेशक संजय सिंह हटाए गए, निखिल तिवारी को मिली जिम्मेदारी


#निगम शिक्षा विभाग में आयुक्त ने की बड़ी कार्रवाई
#भ्रष्टाचार के आरोपों में निदेशक शिक्षा संजय सिंह हटाए गए, निखिल तिवारी को मिली कमान
# सीनियरिटी लिस्ट, प्रिंसिपल प्रमोशन और ट्रांसफर प्रक्रिया में धांधली के आरोप बने वजह
#शिक्षक संगठनों के दबाव और धरने की चेतावनी के बाद निगम का कड़ा कदम
# निगम आयुक्त का संदेश – “भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी, दोनों का निगम में स्थान नहीं”


नई दिल्ली MCD LIVE NEWS 

दिल्ली नगर निगम के शिक्षा विभाग में लंबे समय से जारी सीनियरिटी लिस्ट, प्रिंसिपल प्रमोशन लिस्ट और शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया में धांधली के आरोपों ने आखिरकार एक और बड़े अफसर की कुर्सी हिला दी। निगम आयुक्त अश्वनी कुमार ने निदेशक शिक्षा संजय सिंह को उनके पद से हटा दिया है और अब नए निदेशक शिक्षा के रूप में निखिल तिवारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

यह पहला मामला नहीं है जब भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोपों के चलते शिक्षा निदेशक को पद छोड़ना पड़ा हो। इससे पहले विकास त्रिपाठी भी शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया में धांधली और मेंटर्स शिक्षकों की मिलीभगत से संगठित भ्रष्टाचार करने के आरोपों के चलते हटाए गए थे।

शिक्षक संगठन शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के अध्यक्ष कुलदीप सिंह खत्री ने महापौर राजा इकबाल और शिक्षा समिति के अध्यक्ष योगेश वर्मा को पत्र लिखकर शिकायत दी थी कि ट्रांसफर और प्रमोशन प्रक्रिया पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और भ्रष्टाचार से ग्रसित है। संगठन ने साफ चेतावनी दी थी कि यदि 20 सितंबर तक पारदर्शी ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो 26 सितंबर को धरना दिया जाएगा। इसी दबाव और गंभीर आरोपों के बाद निगम प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए संजय सिंह को पद से हटाने का आदेश दिया।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नए निदेशक शिक्षा निखिल तिवारी इस गड़बड़ी को सुधार पाएंगे? सीनियरिटी और प्रमोशन लिस्ट में पारदर्शिता सुनिश्चित कर पाएंगे? और क्या स्कूल इंस्पेक्टर की बन रही नई प्रमोशन लिस्ट में हो रही धांधली को रोक पाएंगे?

फिलहाल, निगम आयुक्त के इस निर्णय से एक सशक्त संदेश जरूर गया है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी दोनों के लिए कोई जगह नहीं है। आपको बता दें कि यह कदम न केवल शिक्षा विभाग में बल्कि पूरे निगम तंत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता की नई उम्मीद जगाता है। यह मामला अब पूरे दिल्ली के लाखों शिक्षकों और विद्यार्थियों से जुड़ा है, जिनका भविष्य निष्पक्ष और पारदर्शी निर्णयों पर टिका है।





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