तीन साल बाद भी निगम स्कूलों में वर्दी और सुविधाओं में भेदभाव
#देश की राजधानी के 7.5 लाख से अधिक छात्र अब भी तीन अलग-अलग निगमों की पुरानी वर्दी पहनने को मजबूर
नई दिल्ली।
देश की राजधानी दिल्ली में शिक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद निगम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बराबरी का हक अब तक नहीं मिल पाया है। 22 मई 2022 को तीनों नगर निगमों का एकीकरण हुए तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन एकरूपता केवल कागजों तक ही सीमित है। निगम के 1,530 प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले 7.5 लाख से अधिक छात्र आज भी पुराने तीनों निगमों की अलग-अलग वर्दी पहनकर स्कूल जाने को मजबूर हैं। इससे न सिर्फ छात्रों में भेदभाव का भाव पैदा हो रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी दावों पर भी सवाल उठाने के लिए विवश कर रहा है।
#वर्दी के पैसे तक अटके
निगम की तंग आर्थिक स्थिति का खामियाजा सीधे तौर पर गरीब परिवारों के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले सत्र की वर्दी के पैसे अब तक बड़ी संख्या में छात्रों तक नहीं पहुंचे हैं। SC, ST, OBC और बालिकाओं के लगभग आधे बच्चों को राशि नहीं मिली, जबकि सामान्य वर्ग के बच्चों को तो पूरे सत्र का पैसा भी नहीं भेजा गया।
#निगम का हवाला – पैसे नहीं
हाल ही में निगम आयुक्त ने स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में साफ कहा था कि व्यवस्थाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं है। सवाल यह है कि जब राजधानी दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, तो प्राथमिक शिक्षा से जुड़े इन लाखों बच्चों के साथ ही भेदभाव क्यों?
#सम्मान और बराबरी का सवाल
निगम स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब परिवारों से आते हैं। यदि उन्हें वर्दी और अन्य सुविधाएं समय पर व समान रूप से उपलब्ध नहीं होंगी तो यह उनके आत्मसम्मान और शिक्षा दोनों पर असर डालेगा। लोगों का कहना है कि बच्चों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव असहनीय है और सरकार को चाहिए कि तुरंत व्यवस्था बनाकर वर्दी और अन्य बुनियादी सुविधाओं में समानता सुनिश्चित करे।
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