“आइए, आपदा पीड़ितों की मदद के लिए आगे आएं” : पवन सुरेका
- प्राकृतिक आपदा में भी सेवा भाव से नागरिकों की जान बचाती है
नई दिल्ली। 5 सितंबर 2025
उत्तर भारत के कई राज्य—विशेषकर पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश—इस समय भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में हैं। घर, रोजगार और कृषि तबाह हो चुके हैं, वहीं आम जनजीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त हो गया है। दिल्ली के कुछ निचले इलाकों में भी जलभराव और बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे कठिन समय में दिल्ली के त्रिनगर निवासी पवन सुरेका (राजस्थानी) ने जनहित में समाज से एक मार्मिक अपील की है। उन्होंने कहा कि आपदा के समय हमारी सेना, आपदा निरोधक टीमें, स्वंयसेवी संगठन और गुरुद्वारे देवदूत की तरह राहत और बचाव कार्य में लगे रहते हैं। सेना केवल सीमा पर देश की रक्षा नहीं करती, बल्कि प्राकृतिक आपदा में भी सेवा भाव से नागरिकों की जान बचाती है। यह सेवा कार्य वंदनीय है।
#क्या चाहिए बाढ़ पीड़ितों को?
पवन सुरेका ने बताया कि ऐसे समय में सबसे बड़ी आवश्यकता होती है— खाने के लिए अनाज, दाल, चावल, तेल-घी, बिस्कुट, पीने का शुद्ध पानी, दवाइयाँ, मच्छरदानी, कपड़े, साबुन, पेस्ट, रहने के लिए तंबू। उन्होंने कहा कि पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए दिल्ली के कई गुरुद्वारे पहले ही मदद की पहल कर चुके हैं। अब समय है कि सभी धार्मिक संगठन, मंदिर, चर्च, मस्जिद और सामाजिक संस्थाएँ भी आगे आएँ।
# दान और सहयोग की अपील
सुरेका ने याद दिलाया कि भुज भूकंप और अन्य आपदाओं के समय बड़े-बड़े उद्योगपति, खिलाड़ी, कलाकार और आम जनता ने मिलकर दान दिया था। गांवों को गोद लेकर सहायता पहुँचाई गई थी। आज भी वही परोपकारी भावना जगाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे भजन-कीर्तन, कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के ज़रिए भी गली-गली से सहायता जुटाई जा सकती है, जैसा पहले हुआ करता था।
# मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका
सुरेका ने मीडिया से भी अपील की कि वह जनहित में लोगों को मदद के लिए प्रेरित करे। सोशल मीडिया के माध्यम से भी देशभर से सहयोग जुटाया जा सकता है। अंत में उन्होंने कहा कि “किसी के काम जो आये उसे इंसान कहते हैं, पराया दर्द अपनाये उसे इंसान कहते हैं।”
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