हिन्दी को कामकाज और व्यवहार की भाषा बनाना हमारी जिम्मेदारी : उपमहापौर


हिन्दी को कामकाज और व्यवहार की भाषा बनाना हमारी जिम्मेदारी : उपमहापौर
- दिल्ली नगर निगम ने राजभाषा सम्मान सप्ताह का किया शुभारम्भ


 नई दिल्ली

हिन्दी को कामकाज और व्यवहार की भाषा बनाना हमारी जिम्मेदारी है। राजभाषा हिन्दी हमारे देश की पहचान है। निगम के सभी अधिकारी और कर्मचारी अगर प्रशासनिक कार्यों में हिन्दी का प्रयोग करेंगे तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत होगा। दिल्ली के दिल्ली के उप महापौर एवं दिल्ली नगर निगम में हिन्दी समिति के अध्यक्ष जयभगवान यादव ने सिविक सेंटर स्थित मुख्यालय के अरुणा आसफ़ अली सभागार में सोमवार को राजभाषा सम्मान सप्ताह के शुभारम्भ समारोह के आयोजन पर यह बाते कही। उन्होंने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि हम हिन्दी जैसी सशक्त भाषा में अपने कार्य कर सकते हैं। 

राजभाषा सम्मान सप्ताह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमारे दायित्व की याद दिलाने का अवसर है कि हम सभी अपने कार्यालयी कार्यों में हिन्दी को प्राथमिकता दें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ दिल्ली के उप महापौर एवं दिल्ली नगर निगम में हिन्दी समिति के अध्यक्ष जयभगवान यादव ने किया। इस अवसर पर हिन्दी समिति की उपाध्यक्ष नीला कुमारी, पार्षद रेखा रानी, आयुक्त अश्विनी कुमार, अतिरिक्त आयुक्त पंकज नरेश अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में निगम अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

- हिन्दी को कामकाज की भाषा के रूप में अपनाए : नीला कुमार
हिन्दी समिति की उपाध्यक्ष नीला कुमारी ने इस अवसर पर कहा कि राजभाषा सम्मान सप्ताह -2025 के अंतर्गत आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रम हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और उसकी व्यावहारिक उपयोगिता को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से रखे गए हैं। कार्यशाला, प्रतियोगिता और कवि सम्मेलन जैसे विविध आयोजन न केवल कर्मियों को हिन्दी के प्रयोग के लिए प्रेरित करेंगे, बल्कि हिन्दी को कामकाज की भाषा के रूप में अपनाने की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण साबित होंगे।

- हमारी संस्कृति और परंपराओं को समझने का मार्ग है हिंदी : अश्विनी
आयुक्त अश्विनी कुमार ने अपने संदेश में कहा कि हमारी मातृभाषा हिन्दी केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं को समझने का मार्ग भी है। जिस भाषा को हम बचपन में अपनी माँ से सीखते हैं, उसी में भावनाओं की सबसे सहज और सजीव अभिव्यक्ति होती है। हिन्दी वह भाषा है जो पूरे देश को जोड़ने का कार्य कर सकती है। 

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