महापौर के आदेशों की उड़ रही धज्जियां, 13 दिन बाद भी नहीं हुआ सैनिटरी इंस्पेक्टर का तबादला
#दिल्ली नगर निगम की अफसरशाही पर सवाल
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर 2025
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के सिविल लाइन ज़ोन में अफसरशाही की मनमानी की पोल एक बार फिर खुलकर सामने आई है। कादीपुर वार्ड में तैनात सैनिटरी इंस्पेक्टर सुंदर लाल शर्मा के खिलाफ महापौर (मेयर) सरदार राजा इकबाल सिंह के स्पष्ट आदेश के बावजूद कार्रवाई न होने से निगम की जवाबदेही और प्रशासनिक अनुशासन दोनों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।
स्थानीय पार्षद मुनेश देवी के अनुसार, वार्ड में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। नालों की सफाई न होने, गलियों में गंदगी के ढेर और मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को लेकर आरडब्ल्यूए और निवासियों ने कई बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन संबंधित इंस्पेक्टर ने स्थिति सुधारने के बजाय लापरवाही जारी रखी।
पार्षद मुनेश देवी ने कहा कि “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि महापौर के आदेशों के बावजूद संबंधित अधिकारी कार्रवाई से बच रहे हैं। दीवाली से पहले सफाई व्यवस्था बदहाल है और अफसरशाही जनता के साथ अन्याय कर रही है।”
पार्षद मुनेश देवी ने इस मामले की शिकायत डीसी अंशुल सिरोही, ज़ोन चेयरमैन गुलाब सिंह राठौर और नगर निगम कमिश्नर से बार-बार की, परंतु विभागीय अधिकारी मौन बने रहे। स्थिति गंभीर होती देख पार्षद ने अन्य पार्षदों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मेयर राजा इकबाल सिंह से मुलाकात की। मेयर ने तत्काल संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को सैनिटरी इंस्पेक्टर का तबादला करने और वार्ड में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिए थे। 26 सितंबर को सदन की बैठक में जारी हुए मेयर के आदेशों के 13 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर निगम में मेयर के आदेशों की क्या हैसियत रह गई है?
पार्षद मुनेश देवी के अनुसार, इंस्पेक्टर सुंदर लाल शर्मा को पूर्व में भी कई वार्डों से इसी प्रकार की शिकायतों के कारण हटाया जा चुका है और वर्तमान में भी उनके खिलाफ कई विभागीय जांचें लंबित हैं। इसके बावजूद उनका प्रभाव ऐसा है कि मेयर के निर्देश भी निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं।
# जनहित में जनप्रतिनिधि का बड़ा सवाल
क्या निगम में अफसरशाही चुने हुए जनप्रतिनिधियों से ज़्यादा ताकतवर हो चुकी है? अगर महापौर के आदेश भी लागू नहीं हो रहे, तो फिर जनता की शिकायतें कौन सुनेगा?
क्या दिल्ली की गलियों में अब गंदगी के साथ-साथ ‘अवमानना की संस्कृति’ भी फैल रही है?
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