विश्वकर्मा व गोवर्धन पूजा पर ‘टैलेंट ऑफ इंडिया ट्रस्ट’ ने दी सामाजिक एकता की मिसाल
#नरेला के बांकनेर में हुआ श्रद्धा, सेवा और संस्कार का संगम
नरेला, बांकनेर।
समाज में सेवा, संस्कार और आत्मनिर्भरता की भावना को सशक्त बनाने वाले गैर सरकारी संगठन टैलेंट ऑफ इंडिया ट्रस्ट और ड्रीम सोशल वेलफेयर कौशल विकास संगठन (रजि.) द्वारा विश्वकर्मा एवं श्रीकृष्ण गोवर्धन पूजा का आयोजन धूमधाम से किया गया। कार्यक्रम के दौरान संस्था से जुड़े पदाधिकारियों, प्रशिक्षकों और प्रशिक्षणार्थियों ने सभी सिलाई मशीनों व कंप्यूटरों की विधिवत सफाई कर भगवान विश्वकर्मा और श्रीकृष्ण गोवर्धन की पूजा-अर्चना की। तत्पश्चात प्रसाद स्वरूप मिठाइयों का वितरण किया गया।
इस अवसर पर नरेला विकास संगठन के राष्ट्रीय महासचिव एन. डी. अरोड़ा, सीआईएसएफ के पूर्व इंस्पेक्टर एवं संस्था के उपाध्यक्ष ताराचंद बंसल, एक्शन इंडिया नरेला संवाददाता सुनील कुमार, संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता राजकुमार योगी, सोनिया दीपचंद बंसल, भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी लक्ष्मी देवी एवं संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोहताश सिंह योगी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। सभी अतिथियों का पुष्पमालाओं से स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में स्थानीय नागरिक, महिलाएं और बच्चे शामिल हुए, जिन्होंने सामाजिक सद्भाव, कौशल विकास और संस्कृति के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की।संस्था पिछले पाँच वर्षों से गरीब, असहाय और अशिक्षित महिलाओं को सिलाई, कंप्यूटर और साक्षरता प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रही है। रोज़ाना दर्जनों महिलाओं और बच्चों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इसके साथ ही संस्था स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और पेड़ लगाने के कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है।
संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता राजकुमार योगी ने कहा कि “हमारा उद्देश्य केवल प्रशिक्षण देना नहीं, बल्कि हर महिला और बच्चे को आत्मसम्मान, संस्कार और स्वावलंबन से जोड़ना है। सनातन संस्कृति की जड़ों को सशक्त बनाना ही हमारा असली संकल्प है।”
संस्था के अध्यक्ष रोहताश सिंह योगी ने बताया कि आने वाले समय में संस्था कौशल विकास और सामाजिक सेवा के नए केंद्र खोलने जा रही है ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सके।
यह आयोजन समाज में आत्मनिर्भरता, संस्कार और सेवा के उस अद्भुत संगम का प्रतीक बना जिसने यह संदेश दिया—“जहां कर्म है, वहीं धर्म है।”
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