मीडिया के कवरेज पर "अंकुश" लगा सकती है MCD की स्थाई समिति, "नारंग" पर नहीं


मीडिया के कवरेज पर "अंकुश" लगा सकती है स्थाई समिति लेकिन "नारंग" पर नहीं 

#एमसीडी की स्थायी समिति में जोर शोर से गूंजा 5200 MTS कर्मचारियों का मुद्दा
# ‘आप’ पार्षदों ने भाजपा पर लगाया उपेक्षा का आरोप

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर 

दिल्ली नगर निगम में जारी 5200 एमटीएस कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा अब निगम की अहम स्थायी समिति तक पहुंच गया है। आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने भाजपा शासित एमसीडी प्रशासन पर गंभीर लापरवाही और कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। ‘आप’ नेता व दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष अंकुश नारंग ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि गुरुवार को हुई स्थायी समिति की बैठक में पार्टी के सभी सदस्यों ने एकजुट होकर एमटीएस कर्मचारियों की जायज़ मांगों को लेकर जोरदार तरीके से आवाज़ उठाई।
उन्होंने कहा कि “पिछले 11 दिनों से ये कर्मचारी अपनी बहाली और स्थायीकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं, लेकिन भाजपा के मेयर और स्थायी समिति के अध्यक्ष के पास उनसे मिलने के लिए 10 मिनट का भी वक्त नहीं है। यह कर्मचारियों के आत्मसम्मान और उनके अधिकारों के साथ घोर अन्याय है।”

गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम के जन-स्वास्थ्य विभाग के MTS (DBC/CFW) कर्मचारी पिछले 29 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों का कहना है कि निगम ने वर्षों से उन्हें अस्थायी रूप से काम पर लगाया हुआ है, लेकिन न तो नियमित नियुक्ति की जा रही है और न ही उन्हें स्थायी कर्मचारियों के बराबर सुविधाएं दी जा रही हैं।
अंकुश नारंग ने कहा कि “भाजपा शासित एमसीडी प्रशासन सिर्फ घोषणाओं और दिखावे की राजनीति कर रहा है। कर्मचारी अपनी रोज़ी-रोटी के लिए सड़कों पर हैं, लेकिन निगम मुख्यालय में बैठे अधिकारी और नेता मूकदर्शक बने हुए हैं।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि एमटीएस कर्मचारियों की मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो आम आदमी पार्टी निगम के भीतर और सड़कों पर बड़ा आंदोलन करेगी।

स्थानीय नागरिकों और कर्मचारी संगठनों ने भी एमटीएस कर्मचारियों के समर्थन में आवाज़ उठाई है। उनका कहना है कि सफाई और जन-स्वास्थ्य विभाग के बिना दिल्ली की व्यवस्था ठप हो जाएगी, इसलिए निगम प्रशासन को तुरंत समाधान निकालना चाहिए।

#एमसीडी की स्थायी समिति ने मीडिया पर लगाई थी कई पाबंदियां, उठे सवाल

बता दें कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति की तरफ से बैठक की पूर्व सूचना मीडिया को कुछ पाबंदियों के साथ बुधवार को दी गई। बैठक गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 को दोपहर 2 बजे सिविक सेंटर के सत्य नारायण बंसल ऑडिटोरियम में आयोजित की जाएगी। इस बैठक को लेकर निगम प्रशासन ने मीडिया के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें लाइव स्ट्रीमिंग, वीडियो रिकॉर्डिंग और फोटोग्राफी पर सख्त पाबंदी लगाई गई है।

प्रेस आमंत्रण के अनुसार, सभी मीडिया कर्मियों को प्रवेश के लिए पहचान पत्र साथ लाना अनिवार्य होगा। साथ ही निगम ने स्पष्ट किया है कि बैठक के दौरान किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म — Facebook, YouTube, Instagram या Twitter — पर कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जा सकेगी। यहां तक कि वीडियो रिकॉर्डिंग और स्थिर फोटोग्राफी की भी अनुमति नहीं होगी।

#आज उठे मीडिया की आज़ादी पर सवाल
इन प्रतिबंधों को लेकर पत्रकारों और नागरिक समाज के बीच सवाल उठ रहे हैं कि आखिर लोकतांत्रिक संस्थान की महत्वपूर्ण बैठक में पारदर्शिता से परहेज़ क्यों किया जा रहा है? स्थायी समिति एमसीडी की सबसे अहम इकाई मानी जाती है, जो करोड़ों रुपये के बजट, ठेकों और विकास कार्यों से जुड़े फैसले लेती है। ऐसे में कार्यवाही को कैमरों से दूर रखना जनता के अधिकार ‘जानने का हक़’ पर सीधा प्रहार माना जा रहा है।

#जनता का भरोसा कैसे बनेगा?
दिल्ली नगर निगम के फैसले सीधे तौर पर दिल्ली के नागरिकों की सुविधाओं और टैक्स से जुड़ते हैं। अगर मीडिया को बैठक की रिपोर्टिंग से रोका जाएगा तो यह पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों पर सवाल खड़ा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मीडिया पर लगाई जा रही रोक उस वक्त और भी चिंताजनक है जब निगम के अंदर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के मुद्दों पर बहस तेज है।

#जनहित में उठ रहे हर जगह सवाल
क्या निगम प्रशासन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पारदर्शी रखने से बचना चाहता है? क्या जनता को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों की कार्यवाही जानने का अधिकार नहीं? और अगर सब कुछ सही है, तो फिर कैमरों से डर क्यों? जनहित में यह ज़रूरी है कि दिल्ली नगर निगम अपनी बैठकों को पारदर्शी और खुला रखे, ताकि जनता को यह भरोसा हो सके कि निर्णय ईमानदारी और जनहित में लिए जा रहे हैं — न कि बंद कमरों में छिपकर।

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