पहली बार ‘मृत्यु-पश्चात रक्तसंचार’ शुरू किया गयाः अंगदान के लिए विज्ञान ने उसके अंगों का जीवन पुनः शुरू किया
पहली बार ‘मृत्यु-पश्चात रक्तसंचार’ शुरू किया गयाः अंगदान के लिए विज्ञान ने उसके अंगों का जीवन पुनः शुरू किया
- एशिया में पहली बार एक 55 साल की महिला की मृत्यु के बाद उसके अंगों का दान करने के लिए उसके शरीर में खून का संचार फिर से शुरू किया गया
नई दिल्ली , 10 नवंबर, 2025 :
5 नवंबर के दिन 55 वर्ष की गीता चावला को एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका में भर्ती कराया गया। उन्हें साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। मोटर न्यूरॉन डिज़ीज़ के कारण उन्हें लकवा मार गया था, जिस वजह से वो पूरी तरह बिस्तर पर आ गई थीं। परिवार ने उन्हें लाईफ सपोर्ट पर निर्भर न रखने का कठिन निर्णय लिया। 6 नवंबर को रात 8:43 बजे उन्होंने अपना जीवन त्याग दिया। इसके बाद परिवार ने उनके अंगों का दान करने की उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए मेडिकल टीम से संपर्क किया। जब उनके हृदय की गति रुक गई और ईसीजी पर 5 मिनट तक सीधी रेखा बनी रही, तब उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। एशिया में पहली बार उन्हें एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजनेटर (एक्मो) पर रखकर उनका रक्त संचार फिर से शुरू किया गया। रक्त संचार ने उनके पेट के अंगों को जीवित बनाकर रखा। उन्हें तुरंत ऑपरेशन थिएटर (ओटी) ले जाया गया, जहाँ ट्रांसप्लांट टीमों ने उनके लिवर और किडनी निकाल लिए। नॉर्मोथर्मिक रीज़नल परफ्यूज़न (एनआरपी) नामक इस प्रक्रिया द्वारा उनके अंग मृत्यु के 4 घंटे बाद तक जीवित बने रहे, जिससे नोट्टो (नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाईज़ेशन) को अंगों को तुरंत आवंटित करने का समय मिल गया।
उनका लिवर आईएलबीएस में एक 48 वर्ष के पुरुष को लगाया गया, जबकि किडनी मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में 63 वर्ष के पुरुष एवं 58 वर्ष के पुरुष को लगाई गईं। मिस गीता के कॉर्निया और स्किन भी डोनेट कर दिए गए, जिससे कई मरीजों को आशा व इलाज प्राप्त हो सके। डॉ. श्रीकांत श्रीनिवासन, चेयरमैन, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसीन, एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका ने कहा कि भारत में अंगदान आमतौर से ब्रेन डेथ होने पर किया जाता है, जब हृदय धड़क रहा होता है और महत्वपूर्ण अंगों को खून की सप्लाई बनी रहती है। हृदय की गति रुक जाने (डीसीडी) से होने वाली मृत्यु के बाद अंगदान के मामले में अंगों में खून की सप्लाई नहीं हो रही होती है, इसलिए अंगों को कुछ ही मिनटों में निकालना होता है। एनआरपी शुरू करके हमने न केवल लिवर और किडनी को जीवित रखा, बल्कि नोट्टो और ट्रांसप्लांट टीमों को अंगों को निकालने, आवंटित करने और ट्रांसप्लांट करने के लिए पर्याप्त समय भी दे दिया।
डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ वीएसएम, चेयरमैन, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटो-बिलियरी-पैन्क्रियाटिक साईंसेज़ एनसीआर क्लस्टर, कंट्री हेड मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एंड ट्रांसप्लांट (मोस्ट) एवं लीड, नेशनल कंसोर्टियम ऑन एनआरपी इन इंडिया ने कहा कि साल 2024 में भारत में ब्रेन डेथ के बाद अंगदान करने वाले 1128 ऑर्गन डोनर थे। यह आँकड़ा दुनिया में आठवाँ सबसे अधिक था। हमें अब हृदय गति रुक जाने के कारण होने वाली मृत्यु के बाद ज्यादा से ज्यादा अंगदान की जरूरत है। डीसीडी की स्थिति में अंगों की उपयोगिता बनाए रखने के लिए साल 2024 में एनआरपी पर एक नेशनल कंसोर्टियम का गठन किया गया। इस कंसोर्टियम ने भारत के लिए अनुकूलित कम लागत के हाईब्रिड एक्मो का विकास करने के लिए कड़ी मेहनत की है। यह एशिया का पहला एनआरपी था। हमने रक्तसंचार को पेट तक सीमित किया, जिससे हम लिवर और किडनी को ट्रांसप्लांट करने में समर्थ बने। जैसे-जैसे हमारे देश में ज्यादा विशेषज्ञता और अनुभव का विकास होगा, हम पैन्क्रियाज़, फेफड़े और हृदय को भी निकाल सकेंगे।’’
भारत में ट्रांसप्लांट के जरूरतमंद मरीजों और ट्रांसप्लांट के लिए उपलब्ध अंगों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर है। हर साल 1.8 लाख लोगों की किडनी फेल हो जाती है, जबकि साल 2023 में केवल 13,426 किडनी ही ट्रांसप्लांट हो सकीं। भारत में हर साल 25,000 से 30,000 लिवर का ट्रांसप्लांट किए जाने की जरूरत है, लेकिन साल 2023 में केवल 4,491 लिवर ही ट्रांसप्लांट किए गए। इसी तरह, हार्ट फेल से पीड़ित हजारों मरीजों में से केवल 221 मरीजों का ही हार्ट ट्रांसप्लांट हो सका। देश में हर साल 1 लाख कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत पर, पर केवल 25,000 ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं।
अंगदान एक महान कार्य है। भारत में अंगदान की गंभीर जरूरत है क्योंकि ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों और ट्रांसप्लांट के लिए उपलब्ध अंगों के बीच बहुत बड़ा अंतर है। इस अंतर को दूर करने के लिए जागरुकता बढ़ाया जाना और अंगदान अभियानों में प्रतिभागिता की जरूरत है, जिससे अनेकों जरूरतमंदों को आशा की किरण मिल सकती है।
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